Home Latest News & Updates दीपांकर का बड़ा दावा: महिलाओं को नकद ट्रांसफर, SIR में छेड़छाड़ और जमीन सौदे ने बदले चुनावी नतीजे

दीपांकर का बड़ा दावा: महिलाओं को नकद ट्रांसफर, SIR में छेड़छाड़ और जमीन सौदे ने बदले चुनावी नतीजे

by Sanjay Kumar Srivastava
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Dipankar Bhattacharya

Bihar Election Result: भाकपा (माले) एल नेता ने कहा कि SIR के ज़रिए 65 लाख वोटों को हटाने और चुनाव से पहले 3.5-4 लाख वोट जोड़ने से नतीजों पर असर पड़ा.

Bihar Election Result: विपक्षी भाकपा (माले) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने रविवार को बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों को अप्रत्याशित बताया. कहा कि यह तीन सरकारी प्रयोगों का नतीजा है. उनके अनुसार, ये प्रयोग हैं महिला रोज़गार योजना की पहली किस्त के रूप में महिलाओं को 10,000 रुपये का हस्तांतरण, SIR प्रक्रिया में नाम हटाना व जोड़ना और एक कॉर्पोरेट घराने को औने-पौने दाम पर ज़मीन का हस्तांतरण. राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन के एक घटक दल भाकपा (माले) ने जिन 20 सीटों पर चुनाव लड़ा था, उनमें से सिर्फ़ दो सीटें ही जीत पाई. भट्टाचार्य ने पत्रकारों से बात करते हुए दावा किया कि महिलाओं के लिए 10,000 रुपये के प्रावधान सहित सरकार की सभी लक्षित कल्याणकारी योजनाओं के लागू होने तक चुनाव की तारीखों की घोषणा नहीं की गई थी. यह भारत के चुनावी इतिहास में एक अभूतपूर्व और अनूठा प्रयोग है.

चुनाव परिणामों को बताया अप्रत्याशित

भाकपा (माले) एल नेता ने ज़ोर देकर कहा कि एसआईआर के ज़रिए 65 लाख वोटों को हटाने और चुनाव से पहले 3.5-4 लाख वोट जोड़ने से नतीजों पर असर पड़ा. उन्होंने दावा किया कि एसआईआर बिहार की प्रयोगशाला में दूसरा बड़ा प्रयोग था. भट्टाचार्य ने एक कॉर्पोरेट घराने को औने-पौने दामों पर ज़मीन के एक टुकड़े के हस्तांतरण को तीसरा प्रयोग बताया. वामपंथी नेता ने कहा कि यह मुद्दा विपक्ष द्वारा उठाया गया था, लेकिन इसका लोगों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा. उन्होंने कहा कि ये तीन प्रयोग आने वाले समय में भारतीय राजनीति की दिशा और एजेंडा तय कर सकते हैं. चुनाव परिणामों को असामान्य, हमारी उम्मीदों और समझ से परे बताते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी और गठबंधन भविष्य की रणनीति तय करने के लिए इस पहलू पर विचार करेंगे.

18 से 24 नवंबर तक जनता से लेंगे फीडबैक

उन्होंने कहा कि 18 से 24 नवंबर तक हमारे उम्मीदवार और पार्टी कार्यकर्ता फीडबैक और जनसंपर्क अभियान के तहत लोगों के बीच जाएंगे. उन्होंने आगे कहा कि हमें इन प्रयोगों को रोकने की जरूरत है अन्यथा राजनीति में समान अवसर नहीं रहेंगे. 2010 के बिहार चुनावों से तुलना करते हुए जब एनडीए ने इसी तरह की जीत दर्ज की थी, भट्टाचार्य ने कहा कि तब नीतीश कुमार का कद बढ़ रहा था. लेकिन इस बार उनकी सरकार और केंद्र में एनडीए सरकार के प्रति लोगों की भावनाओं में गिरावट आ रही थी. भाकपा (माले) एल महासचिव ने कहा कि भारत की चुनावी राजनीति में एक विसंगति है क्योंकि आमतौर पर वोट प्रतिशत और प्राप्त सीटों के बीच बेमेल होता है. उन्होंने कहा कि 2020 के चुनावों के बाद से हमारे वोट कमोबेश एक जैसे ही रहे हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि सीटों की संख्या में भारी गिरावट आई है.

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