Home National आरएसएस नेता के बयान पर छिड़ा घमासान! केरल के सीएम विजयन ने किया जोरदार पलटवार

आरएसएस नेता के बयान पर छिड़ा घमासान! केरल के सीएम विजयन ने किया जोरदार पलटवार

by Vikas Kumar
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CM Pinarayi Vijayan

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले के संविधान पर दिए हालिया बयान पर प्रतिक्रिया दी है.

Pinarayi Vijayan: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले के संविधान पर दिए हालिया बयान पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस कड़ी में केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने प्रतिक्रिया दी है. केरल के मुख्यमंत्री ने संविधान के धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी आदर्शों की समीक्षा के लिए आरएसएस की आलोचना की है. केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने शुक्रवार को भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों की समीक्षा करने के आरएसएस के आह्वान की निंदा की और इसे “गणराज्य के मूल आदर्शों को नष्ट करने का एक बेशर्म प्रयास” बताया.

एक्स पोस्ट में क्या लिखा?

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट में लिखा, “आरएसएस महासचिव दत्तात्रेय होसबाले द्वारा भारतीय संविधान में धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद की समीक्षा करने का आह्वान हमारे गणतंत्र के मूल आदर्शों को नष्ट करने का एक बेशर्म प्रयास है. इन सिद्धांतों को बदनाम करने के लिए आपातकाल लागू करना एक धोखेबाजी भरा कदम है, खासकर तब जब आरएसएस ने अपने अस्तित्व को बचाने के लिए उस समय इंदिरा गांधी सरकार के साथ सांठगांठ की थी. अब उस अवधि का उपयोग संविधान को कमजोर करने के लिए करना सरासर पाखंड और राजनीतिक अवसरवाद को दर्शाता है. धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद कोई अतिरिक्त चीज नहीं हैं; वे भारत को परिभाषित करते हैं. लोकतंत्र में विश्वास रखने वाले हर नागरिक को इस सांप्रदायिक एजेंडे के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए.”

दत्तात्रेय होसबाले ने क्या कहा था?

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने हाल ही में एक कार्यक्रम में शिरकत की थी. इसी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए होसबाले ने संविधान का जिक्र कर बयान भी दे दिया जो विवाद की वजह बन गया. होसबाले ने कहा कि आपातकाल लगाया जाना लोकतंत्र की हत्या थी और आज वहीं लोग संविधान की कॉपियां लेकर घूम रहे हैं. होसबाले बोले, “25 जून 975 को लगाए गए आपातकाल के समय संसद और न्यायपालिका कार्यरत नहीं थीं. इस दौरान ही संविधान में सोशलिस्ट और सेक्युलर जैसे शब्दों को जोड़ दिया गया. देश में इस मुद्दे पर खुली बहस होनी चाहिए कि इन दोनों शब्दों को संविधान में रहना चाहिए या नहीं.’ माना जा रहा है कि आने वाले समय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले के संविधान पर दिए इस बयान पर और भी सियासी संग्राम मचेगा. माना जा रहा है कि विपक्षी पार्टियां बयान के मुद्दे पर बीजेपी और आरएसएस पर और भी ज्यादा हमले बोलेंगी. बिहार चुनाव में भी ये मुद्दा उठाया जाएगा.

ये भी पढ़ें- संविधान से ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द हटाने की मांग, दत्तात्रेय होसबोले ने फिर छेड़ी बहस

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