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Rajiv Gandhi Death Anniversary : डिजिटल इंडिया और दूरसंचार क्रांति से लेकर कंप्यूटर तक, ऐसा रहा पूर्व PM का देश में योगदान

by Live Times
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Rajiv Gandhi Death Anniversary

Rajiv Gandhi Death Anniversary : 20वीं शताब्दी के अंतिम वर्षों में भारत को तकनीकी रूप से सक्षम करने के साथ वह राष्ट्र को 21वीं शताब्दी को भारत के स्वर्णिम काल का सपना दिखा रहे थे.

20 May, 2024

Rajiv Gandhi Death Anniversary : पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद वर्ष 1984 से लेकर 1989 तक राजीव गांधी देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री रहे थे. इस युवा पीएम ने उन 5 वर्षों में देश की जनता के बीच अपनी एक अलग छाप छोड़ दी. एक ही कार्यकाल में उन्होंने कई ऐसे कार्य किए जिसके लिए आज भी देश उनको याद करता है. मात्र 40 वर्ष की उम्र में भारत के प्रधानमंत्री बनने के बाद देश के अंदर तकनीकी क्षेत्र में कई अहम कार्य किए. इसके अलावा, उन्होंने भारत को आधुनिक और मजबूत राष्ट्र बनाने के लिए कंप्यूटर क्रांति की शुरुआत कर दी.

तकनीक और विज्ञान में विकास से अन्य क्षेत्रों पर पड़ा असर

20वीं शताब्दी के अंतिम वर्षों में भारत को तकनीकी रूप से सक्षम करने के साथ वह राष्ट्र को 21वीं शताब्दी को भारत के स्वर्णिम काल का सपना दिखा रहे थे. उन्होंने राष्ट्र के लिए एक ऐसा सपना देखा था जहां तकनीक और विज्ञान के समायोजन से मानवीय-लोकतांत्रिक मूल्यों को अधिक मजबूत किया जा सके. इसमें अशिक्षा, घृणा, आतंकवाद, सांप्रदायिकता, भेदभाव और गरीबी की कोई जगह नहीं थी. बता दें कि वह राजीव गांधी ही थे जो भारत में सूचना क्रांति लेकर आए थे. आज देश में डिजिटल इंडिया की काफी चर्चा है. लेकिन राजीव इसकी कल्पना आज से करीब 40 साल पहले ही शुरू कर दी थी. राजीव गांधी की पहल पर अगस्त 1984 में भारतीय दूरसंचार नेटवर्क की स्थापना के लिए सेंटर पार डिवेलपमेंट ऑफ टेलीमैक्स (C-DOT) की स्थापना की गई.

देश में कंप्यूटर क्रांति लाने में रहा अहम योगदान

राजीव की इस पहल के बाद ही गांवों के अंदर दूरसंचार का जाल बिछना शुरू हुआ था. देखते ही देखते विभिन्न स्थानों पर PCO खुलने लगे और गांव के लोग जल्द शहर और दुनिया से जुड़ने लगे थे. इसके बाद जब वह प्रधानमंत्री बने तो साल 1986 में उन्होंने MTNL की स्थापना की थी. जिसके माध्यम से संचार में तेजी से प्रगति होती चली गई और रोजगार के नए क्षेत्र खुलने लगे. वहीं देश में कम्प्यूटर आम लोगों की पहुंच से कोसो दूर थे. लेकिन राजीव गांधी ने अपने मित्र सैम पित्रोदा के सहयोग से देश में कम्प्यूटर क्रांति लाने में तेजी से काम करना शुरू किया. पूर्व प्रधानमंत्री का मानना था कि बिना कंप्यूटर और तकनीक के सहयोग के देश में उद्योगों का विकास करना मुश्किल होगा. इसके साथ ही देश में भारी संख्या में कंप्यूटरों को आयात करने के लिए आयात टैक्स को कम कर दिया गया और भारत में रेलवे डिपार्टमेंट में टिकट जारी करन का कंप्यूटरीकृत का दौर यही से शुरू हुआ था. यह सच्चाई है कि राजीव गांधी के कंप्यूटर क्रांति लाने से पहले वर्ष 1970 में पब्लिक सेक्टर में कंप्यूटर डिविजिन शुरू करने के लिए डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स ने अहम भूमका निभाई थी.

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