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Supreme Court: नए आपराधिक कानूनों के खिलाफ याचिका पर विचार करने से सुप्रीम कोर्ट ने किया इन्कार

by Pooja Attri
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Delhi Water Crisis

National News: सुप्रीम कोर्ट में आईपीसी, सीआरपीसी और एविडेंस एक्ट का स्थान लेने वाले 3 नए कानूनों के खिलाफ एक याचिका दायर की गई थी, जिसका फैसला सोमवार यानी 20 मई को आना था.

20 May, 2024

Three Criminal Laws: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को नए आपराधिक कानूनों के खिलाफ दायर याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. याचिका में भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी में बदलाव लाने के लिए लाए गए तीन नए कानूनों को चुनौती दी गई थी. न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की अवकाश पीठ (वेकेशन बेंच) ने याचिका दायर करने वाले वकील विशाल तिवारी को याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी है.

कानून भारतीय न्याय के 3 प्रमुख कानून

लोकसभा ने पिछले साल 21 दिसंबर को तीन प्रमुख कानून भारतीय न्याय (सेकेंड) संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा (सेकेंड) संहिता और भारतीय साक्ष्य (सेकेंड) विधेयक पास किए थे. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 25 दिसंबर को इन विधेयकों को मंजूरी दे दी थी. ये नए कानून भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे. सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि ये कानून अब तक लागू नहीं हुए हैं.

आपराधिक कानूनों के खिलाफ दायर याचिका

सुप्रीम कोर्ट में आईपीसी, सीआरपीसी और एविडेंस एक्ट का स्थान लेने वाले 3 नए कानूनों के खिलाफ एक याचिका दायर की गई थी, जिसका फैसला सोमवार यानी 20 मई को आना था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा सोमवार यानी आज 20 मई को इसकी सुनवाई करने से मना कर दिया. याचिकाकर्ता से जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि ये याचिका सही नहीं है, इसको खारिज किया जा सकता है.

याचिका को सुप्रीम कोर्ट द्वारा किया गया खारिज

बेंच ने कहा, ‘आपको जो करना है करो…यह याचिका बहुत ही लापरवाह तरीके से दायर की गई है. यदि आप इस पर बहस करते हैं, तो हम जुर्माना लगा कर इसे खारिज कर देंगे. चूंकि, आप इसे वापस ले रहे हैं, हम जुर्माना नहीं लगा रहे.’आखिरकार ये याचिका वापस ले ली गई. जनहित याचिका के अनुसार, ‘ भारतीय न्याय संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में कई विसंगतियां हैं. तीनों आपराधिक कानून बिना किसी संसदीय बहस के पारित किए गए, वो भी तब जब अधिकांश सदस्य सदन में मौजूद नहीं थे.’इसके अलावा, याचिका में इस बात का भी दावा किया है कि तीन कानूनों का टाइटल सही नहीं हैं. ये कानून और उसके उद्देश्य के बारे में बात नहीं करते हैं.

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