Home Latest News & Updates ‘ब्रिटिश अधिकारी के स्वागत में रचा गया राष्ट्रगान…’ BJP सांसद के बयान पर बढ़ा सियासी पारा

‘ब्रिटिश अधिकारी के स्वागत में रचा गया राष्ट्रगान…’ BJP सांसद के बयान पर बढ़ा सियासी पारा

by Sachin Kumar
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Karnataka News : राष्ट्रगान पर कर्नाटक में एक बार फिर से बहस छिड़ गई है. बीजेपी सांसद ने कहा कि राष्ट्रगान ब्रिटिश अधिकारी के लिए गाया गया था और अब इस पर कांग्रेस नेता प्रतिक्रिया दी है.

Karnataka News : कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी (Vishweshwar Hegde Kageri) के एक बयान से विवाद छिड़ गया है. उन्होंने कहा कि देश का राष्ट्रगान ब्रिटिश अधिकारी के लिए लिखा गया था और अब इस बयान पर सियासी घमासान मच गया है. कांग्रेस नेता और कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खरगे ने तीखी आलोचना की, उन्होंने इसको पूरी तरह बकवास और आरएसएस के व्हाट्सएप इतिहास पाठ करार दिया. कागेरी की यह टिप्पणी राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में होन्नावर में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए की. उन्होंने तर्क दिया कि वंदे मातरम् को ज्यादा महत्व दिया जाना चाहिए. साथ ही ‘वंदे मातरम’ और ‘जन गण मन’ का दर्जा समान है.

हम पालन कर रहे हैं : कागेरी

बीजेपी सांसद ने कहा कि मैं इतिहास में नहीं जाना चाहता हूं, बस इतना है कि वंदे मातरम को राष्ट्रगान बनाने की जोरदार मांग हुई थी, लेकिन हमारे पूर्वजों ने वंदे मातरम् के साथ-साथ जन गण मन को भी राष्ट्रगान बनाए रखने का फैसला किया, जो ब्रिटिश अधिकारी के स्वागत में गाया गया था. साथ ही हमारे संविधान निर्माताओं ने इसे स्वीकार किया और इसका हम पालन कर रहे हैं. देश के स्वतंत्रता संग्राम में वंदे मातरम् के योगदान को सदैव प्रेरणादायी बताते हुए उन्होंने कहा कि150 वर्ष पूरे होने पर वंदे मातरम् सभी तक पहुंचाना चाहिए. इस प्रतिक्रिया देते हुए प्रियांक खरगे ने कहा कि बीजेपी सांसद कागेरी अब दावा कर रहे हैं कि राष्ट्रगान ब्रिटिश है. यह पूरी तरह से बकवास बात है और यह सिर्फ आरएसएस का व्हाट्सएप इतिहास का पाठ है.

भारत के भाग्य विधाता के लिए गाया गया

खरगे ने आगे कहा कि रवींद्रनाथ टैगोर ने 1911 में भारतो भाग्यो बिधाता भजन लिखा था और इसका पहला छंद जन गण मन बना. यह राष्ट्रगान पहली बार 27 दिसंबर, 1911 को कलकत्ता में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में गाया गया था. किसी शाही श्रद्धांजलि के रूप में नहीं. उन्होंने कहा कि टैगोर ने 1937 और 1939 में यह स्पष्ट किया था कि यह भारत के भाग्य विधाता की प्रशंसा करता है और कभी जॉर्ज पंचम के लिए नहीं था. इसके अलावा सांसद की इस टिप्पणी मैं इतिहास में नहीं जाना चाहता पर प्रतिक्रिया देते हुए कर्नाटक सरकार में मंत्री ने कहा कि लेकिन में बीजेपी और आरएसएस के हर नेता, कार्यकर्ता और स्वयंसेवक से आग्रह करता हूं कि वे आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गनाइज़र के संपादकीय पढ़कर इतिहास पर नज़र डालें और जानें कि आरएसएस की संविधान, तिरंगे और राष्ट्रगान का अनादर करने की एक महान परंपरा रही है.

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