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भारत और इजराइल के बीच द्विपक्षीय निवेश समझौते पर हस्ताक्षर, बुनियादी ढांचे में सहयोग को मिलेगी नई गति

by Sanjay Kumar Srivastava
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Finance Minister Nirmala Sitharaman

India-Israel Relations: समझौते से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय निवेश में वृद्धि का मार्ग प्रशस्त होने की उम्मीद है, जो वर्तमान में कुल 800 मिलियन अमरीकी डालर है.

India-Israel Relations: भारत और इजराइल ने सोमवार को दोनों देशों में निवेश को बढ़ावा देने और उसकी सुरक्षा के उद्देश्य से एक द्विपक्षीय निवेश समझौते पर हस्ताक्षर किए. इस समझौते में निवेश को जब्त होने से बचाने, पारदर्शिता सुनिश्चित करने और सुचारु हस्तांतरण तथा नुकसान की भरपाई के प्रावधान शामिल हैं. समझौते में निवेशक संरक्षण और राज्य के नियामक अधिकारों के बीच संतुलन का भी प्रावधान है. वित्त मंत्रालय ने कहा है कि इस समझौते से दोनों देशों में निवेश को बढ़ावा मिलेगा. साथ ही निवेशकों को निश्चितता और सुरक्षा भी मिलेगी. कहा गया है कि समझौते से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय निवेश में वृद्धि का मार्ग प्रशस्त होने की उम्मीद है, जो वर्तमान में कुल 800 मिलियन अमरीकी डालर है. इससे दोनों देशों में व्यवसायों और अर्थव्यवस्थाओं को लाभ होगा. इस संबंध में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उल्लेख किया कि दोनों पक्षों को समझौते से लाभ प्राप्त करने के लिए निवेश के अवसरों का पता लगाने हेतु अधिक व्यापारिक बातचीत करनी चाहिए.

दोनों देशों के बीच बढ़ेगा आर्थिक सहयोग

समझौते पर सीतारमण और इज़राइल के वित्त राज्य मंत्री बेजलेल स्मोट्रिच ने यहां हस्ताक्षर किए. दोनों मंत्रियों ने फिनटेक नवाचार, बुनियादी ढांचे के विकास, वित्तीय विनियमन और डिजिटल भुगतान कनेक्टिविटी के क्षेत्र में आर्थिक सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता पर जोर दिया. मंत्रालय ने कहा कि वे दोनों देशों के बीच आर्थिक और वित्तीय सहयोग बढ़ाने और पारस्परिक आधार पर निवेश को बढ़ावा देने और संरक्षित करने पर सहमत हुए. अप्रैल 2000 और जून 2025 के दौरान भारत को इज़राइल से 337.77 मिलियन अमेरिकी डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्राप्त हुआ. समझौते पर हस्ताक्षर करना महत्वपूर्ण है क्योंकि दोनों देश एक मुक्त व्यापार समझौते पर भी बातचीत कर रहे हैं. भारत सऊदी अरब, कतर, ओमान, स्विट्जरलैंड, रूस, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय संघ सहित एक दर्जन से अधिक देशों के साथ द्विपक्षीय निवेश संधियों (बीआईटी) पर भी सक्रिय रूप से बातचीत कर रहा है. ये निवेश संधियां एक-दूसरे के देशों में निवेश को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में मदद करती हैं.

सरकार निवेश व्यवस्था को बना रही और बेहतर

भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और वैश्विक विनिर्माण का केंद्र बनने के लिए तैयार है. सरकार निवेशकों को प्रोत्साहित करने वाली अपनी निवेश व्यवस्था को और बेहतर बनाने के लिए कई उपाय कर रही है. भारत ने 2024 में दो देशों के साथ बीआईटी पर हस्ताक्षर किए. पिछले साल केंद्र ने यूएई और उज्बेकिस्तान के साथ इन संधियों के कार्यान्वयन की घोषणा की. हाल ही में संपन्न मुक्त व्यापार समझौतों में निवेश प्रोत्साहन या सुविधा से संबंधित अध्याय के विपरीत, बीआईटी के तहत निवेश संरक्षण तत्व विदेशी निवेशकों को दिए गए दायित्वों और प्रतिबद्धताओं की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करता है.

भारत ने पार किया 1 ट्रिलियन डॉलर का आंकड़ा

बीआईटी में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता का सहारा लेने से पहले पांच साल की अवधि के लिए स्थानीय कानूनी उपायों को अनिवार्य रूप से समाप्त करने का प्रावधान निवेशक और विवाद में शामिल राज्य दोनों के लिए फायदेमंद है. स्थानीय उपायों की आवश्यकता के बारे में भारत का दृष्टिकोण करदाताओं के पैसे की रक्षा करने और लंबी व महंगी कानूनी लड़ाई से बचने के अपने रुख के अनुरूप है. साथ ही निवेशकों को वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र के रूप में मध्यस्थता प्रदान करता है. भारत में एफडीआई प्रवाह अप्रैल 2000-जून 2025 की अवधि में 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के मील के पत्थर को पार कर गया, जिसने वैश्विक स्तर पर एक सुरक्षित और प्रमुख निवेश गंतव्य के रूप में देश की प्रतिष्ठा को मजबूती से स्थापित किया. पिछले वित्तीय वर्ष में यह 80.61 अरब अमेरिकी डॉलर था.

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