Delhi Politics : दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज के यहां पर ED ने तलाशी ली है और यह कार्रवाई हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में कथित घोटाले से जुड़ी धन शोधन जांच के तहत हुई है.
Delhi Politics : दिल्ली की राजनीति में एक बार फिर उबाल आ गया है. इस बार पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता सौरभ भारद्वाज (Saurabh Bharadwaj) के ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने छापेमारी की है. सूत्रों ने बताया कि ED ने मंगलवार को हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में कथित घोटाले से जुड़ी धन शोधन जांच के तहत पूर्व स्वास्थ्य मंत्री के यहां पर तलाशी ली गई है. उन्होंने बताया कि धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत राजधानी में कुछ निजी ठेकेदारों और वाणिज्यिक रियल एस्टेट डेवलपर्स समेत 13 स्थानों पर तलाशी ली गई है. दिल्ली में AAP इकाई के प्रमुख और अपनी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भारद्वाज के खिलाफ ED की जांच जून में दिल्ली की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (ACB) द्वारा दर्ज की गई एक प्राथमिकी पर आधारित है.
कई नेताओं के यहां पर ली गई तलाशी
ACB ने हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में कथित भ्रष्टाचार के लिए सौरभ भारद्वाज, उनकी के सहयोगी और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन, निजी ठेकेदारों और अज्ञात सरकारी अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. ACB की तरफ से FIR दर्ज करने के बाद AAP ने एजेंसियों पर दुरुपयोग करने का आरोप लगाया. एसीबी की यह शिकायत दिल्ली BJP की तरफ से पिछले साल अगस्त में दिल्ली सरकार के तहत विभिन्न स्वास्थ्य अवसंरचना परियोजनाओं में गंभीर अनियमितताओं और संदिग्ध भ्रष्टाचार का आरोप लगाने के बाद आई है. साथ ही ईडी ने यह भी पाया है कि दिल्ली सरकार के लोक नायक अस्पताल के निर्माण लागत में 488 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1135 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है.
परियोजना बजट में हेरफेर की गई
एसीबी की शिकायत में परियोजना बजट में व्यवस्थित हेरफेर, सार्वजनिक धन का दुरुपयोग और निजी ठेकेदारों के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया गया था. इस आरोप के अनुसार 2018-19 के दौरान 5,590 करोड़ रुपये की 24 अस्पताल परियोजनाओं को मंजूरी दी गई थी. हालांकि, ये परियोजनाएं काफी हद तक अधूरी रहीं और लागत में भारी और अस्पष्ट वृद्धि हुई. इसी तरह एसीबी अधिकारियों के मुताबिक 1,125 करोड़ रुपये की आईसीयू अस्पताल परियोजना, जिसमें कुल 6,800 बिस्तरों वाली सात पूर्व-निर्मित सुविधाएँ शामिल हैं, तीन साल और 800 करोड़ रुपये के खर्च के बाद भी केवल 50 प्रतिशत ही पूरी हुई है, जबकि शुरुआती समय सीमा 6 महीने की थी.
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