Gujarat News : अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड की तरफ से दायर मानहानि के सिविल केस की सुनवाई करते हुए एडिशनल सिविल जज श्रीकांत शर्मा की बेंच ने कांग्रेस को डीप फेक वीडियो हटाने का आदेश दिया.
Gujarat News : कांग्रेस बीते कुछ साल से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) और इंडस्ट्रियलिस्ट गौतम अडानी (Gautam Adani) के बीच साठगांठ को लेकर हमलावर रही है. पार्टी आरोप लगाती आई है कि मोदी सरकार BJP को लाभ पहुंचाने के लिए अडानी कंपनी को फायदा पहुंचा रही है. इसी कड़ी में कई वीडियो और फोटो भी पोस्ट करती रहती है. इन्हीं आरोप-प्रत्यारोप के बीच कांग्रेस को गुजरात कोर्ट से झटका लगा है. अहमदाबाद की एक अदालत ने कांग्रेस और उसके चार नेताओं को मोदी-अडानी का एक डीप फेक वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हटाने का निर्देश दिया है.
17 दिसंबर को किया गया था वीडियो पोस्ट
वहीं, अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड की तरफ से दायर मानहानि के सिविल केस की सुनवाई करते हुए एडिशनल सिविल जज श्रीकांत शर्मा की बेंच ने कांग्रेस और उसके चार नेता जयराम रमेश, सुप्रिया श्रीनेत, पवन खेड़ा और उदय भानु चिब को डीप फेक वीडियो हटाने का आदेश दिया है. कांग्रेस ने यह वीडियो 17 दिसंबर को एक्स हैंडल पर पोस्ट किया था, जिसमें मोदी और अडानी के बीच बातचीत दिखाई गई थी, जिसका कैप्शन पार्टी ने ‘मोदी-अडानी भाई भाई, देश बेचकर खाई मलाई’ दिया था. इसके अलावा कोर्ट ने X Corp और गूगल से इस मामले में प्रतिवादी बनाया और उन्हें 72 घंटे के भीतर वीडियो हटाने के लिए कहा.
अडानी एंटरप्राइजेज पर लगाए ये आरोप
कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि अगर प्रतिवादी नियमों का पालन नहीं करते हैं तो तो उन पर इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी रूल्स 2021 के अनुसार उचित कार्रवाई की जा सकती है. साथ ही कोर्ट ने प्रतिवादियों को 29 दिसंबर को जवाब देने के लिए अर्जेंट शो कॉज नोटिस भी जारी कर दिया है. दूसरी तरफ अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड की याचिका में कहा गया है कि कांग्रेस और उसके चार नेताओं ने विभिन्न सोशल मीडिया चैनलों, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और डिजिटल कम्युनिकेशन माध्यमों पर एक डीप फेक वीडियो अपलोड, सर्कुलेट और ब्रॉडकास्ट किया.
आगे सर्कुलेट करने से रोकने का दिया आदेश
इसके अलावा अदालत ने वेबसाइटों, चैनलों, प्लेटफॉर्मों और प्रतिवादियों के सोशल मीडिया हैंडल से मानहानि वीडियो, पोस्ट और डिजिटल कंटेंट को तुरंत हटाने और याचिका की सुनवाई पूरी होने तक किसी भी समान सामग्री को आगे सर्कुलेट, पब्लिश या रीपब्लिश करने से रोकने का निर्देश देने की मांग की गई. याचिका में आगे कहा गया कि वीडियो और पोस्ट के जरिए प्रतिवादियों ने वादी पर आपराधिक गतविधि, भ्रष्टाचार, जमीन हड़पने, राजनीतिक प्रभाव का दुरुपयोग, निजी नागरिकों को परेशान करने, कृषि भूमि का अवैध अधिग्रहण, सार्वजनिक अधिकारियों में हेरफेर और आपराधिक तत्वों के साथ संबंध रखने के आरोप लगाए हैं.
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