Leh Violence Update : लेह में हुए हिंसा के आरोप में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत गिरफ्तार जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की पत्नी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा.
Leh Violence Update : कुछ समय पहले लेह में हुए हिंसा के आरोप में गिरफ्तार जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि अंगमो की ओर से दी गई याचिका पर सोमवार यानी कि 6 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. इस मामले पर न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ सोनम वांगचुक की हिरासत के खिलाफ दर्ज याचिका पर सुनवाई करेगी. इसमें उनकी रिहाई की मांग भी की गई है.
NSA के तहत गिरफ्तार हुए वांगचुक
लेह पुलिस की ओर से पिछले हफ्ते हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों के दो दिन बाद पूर्व शिक्षाविद् और जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को हिरासत में ले लिया था. इसके बाद सोनम वांगचुक को राजस्थान स्थित जोधपुर की जेल में शिफ्ट कर दिया गया था. इसके बाद से सोनम वांगचुक के खिलाफ कठोर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत मामला दर्ज किया गया है.
क्या बोली सोनम वांगचुक की पत्नी
वांगचुक की पत्नी गीतांजलि अंगमो ने अपनी याचिका में कहा कि उन्हें एक हफ्ते से अधिक समय से अपने पति के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है. न तो पुलिस प्रशासन और न ही स्थानीय अधिकारी इस बात की साफ जानकतारी दे रहे हैं कि वांगचुक कहां और किस स्थिति में हैं. याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट तुरंत हस्तक्षेप करते हुए सोनम वांगचुक को अदालत के समक्ष पेश करने का निर्देश दे, ताकि उनकी सुरक्षा और कानूनी अधिकार सुनिश्चित किए जा सकें.
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पति से मिलने की लगाई गुहार
याचिका में गृह मंत्रालय, लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन, लेह के उपायुक्त और जोधपुर जेल अधीक्षक को पक्षकार बनाया गया है. साथ ही उन्हें यह निर्देश देने की भी मांग की गई है कि वे याचिकाकर्ता को उसके पति से टेलीफोन और व्यक्तिगत रूप से तत्काल मिलने की अनुमति दें. इसके साथ ही याचिका में आरोप लगाया गया कि वांगचुक की हिरासत अवैध, मनमाना और असंवैधानिक है, जो संविधान के अनुच्छेद 14, 19, 21 और 22 के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है.
हमेशा किया है शांतिपूर्ण समर्थन
इसमें यहा भी कहा गया है कि वांगचुक, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित नवप्रवर्तक, पर्यावरणविद् और समाज सुधारक रहे हैं. उन्होंने लद्दाख की पारिस्थितिक और लोकतांत्रिक चिंताओं को उजागर करने के लिए हमेशा गांधीवादी और शांतिपूर्ण तरीकों से विरोध किया है.
बिना किसी संपर्क के जेल में ले गए
याचिका में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि उन्हें दवाइयां, निजी सामान या उनके परिवार और वकील से संपर्क कराए बिना ही तुरंत जोधपुर की सेंट्रल जेल में शिफ्ट कर दिया गया है. उन्होंने आगे कहा कि वांगचुक को हिरासत में लेने का कोई आधार अब तक नहीं बताया गया है.
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