परीक्षा की पवित्रता और शुचिता को बनाए रखने के लिए शासन ने सभी 75 जिलों के जिला मजिस्ट्रेटों को अपने-अपने जिले का नोडल अधिकारी नियुक्त किया था. शासन ने यह भी अधिकार दिया था कि आवश्यकता पड़ने पर वे त्वरित निर्णय ले सकें.
UP: उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी भर्ती परीक्षा रविवार (27 जुलाई) को सुबह साढ़े नौ बजे से 2300 से अधिक केंद्रों पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच संपन्न हुई. राज्य के सभी 75 जिलों में एक ही पाली में सुबह साढ़े नौ बजे से दोपहर साढ़े 12 बजे तक आयोजित तीन घंटे की इस परीक्षा में 10.76 लाख से अधिक अभ्यर्थी शामिल हुए. परीक्षा के लिए राज्यभर में 2,382 परीक्षा केंद्र बनाए गए थे. परीक्षा की पवित्रता और शुचिता को बनाए रखने के लिए शासन ने सभी 75 जिलों के जिला मजिस्ट्रेटों को अपने-अपने जिले का नोडल अधिकारी नियुक्त किया था. शासन ने यह भी अधिकार दिया था कि आवश्यकता पड़ने पर वे त्वरित निर्णय ले सकें. एसटीएफ और पुलिस को समीक्षा अधिकारी एवं सहायक समीक्षा अधिकारी की भर्ती परीक्षाओं में किसी भी तरह की गड़बड़ी नहीं होने देने के सख्त निर्देश दिए गए थे. राजधानी लखनऊ में ही 125 से अधिक केंद्र बनाए गए थे, जहां सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए थे.
राज्य के सभी 75 जिलों में हुई परीक्षा
लखनऊ कमिश्नरेट (आयुक्तालय) पुलिस के अनुसार समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी भर्ती की प्रारंभिक परीक्षा के दृष्टिगत पुलिस उपायुक्त (पूर्वी) शशांक सिंह ने पूर्वी जोन के परीक्षा केंद्रों का निरीक्षण कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया एवं परीक्षा ड्यूटी में लगे पुलिस बल को आवश्यक दिशा निर्देश दिए. उत्तर प्रदेश के समीक्षा अधिकारी (आरओ) और सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ) के लिए रविवार को राज्य भर में परीक्षा हुई. परीक्षा राज्य के सभी 75 जिलों में एक ही पाली में सुबह 9:30 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक आयोजित की गई. परीक्षा देने के लिए 10.76 लाख से अधिक अभ्यर्थी शमिल हुए. प्रत्येक जिला मजिस्ट्रेट को सभी व्यवस्थाओं की निगरानी करने और आवश्यकतानुसार त्वरित निर्णय लेने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया था. राज्य सरकार ने परीक्षा की शुचिता को भंग करने के इतिहास वाले व्यक्तियों, जिनमें ज्ञात नकल गिरोह और बार-बार अपराध करने वाले लोग शामिल हैं, पर नज़र रखने और निगरानी रखने के सख्त निर्देश भी जारी किए थे.
कोचिंग संस्थानों के पास तैनात थीं टीमें
जो लोग पहले परीक्षा संबंधी अपराधों में शामिल थे और वर्तमान में ज़मानत पर बाहर हैं, उन पर विशेष निगरानी रखी गई. एसटीएफ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, जिसमें खुले मंचों के साथ-साथ व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे निजी मैसेजिंग ऐप भी शामिल हैं, पर कड़ी नज़र रखी, जिनका अक्सर अफवाहें फैलाने या अवैध गतिविधियों के समन्वय के लिए इस्तेमाल किया जाता है. परीक्षा अवधि के दौरान समर्पित टीमें कोचिंग संस्थानों की निगरानी करती रहीं. इस दौरान किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत संबंधित एजेंसियों को त्वरित कार्रवाई के लिए दिए जाने का निर्देश था. यदि कोई उम्मीदवार या व्यक्ति परीक्षा के दौरान अनुचित साधनों का उपयोग करते हुए पाया जाता, तो कानून की संबंधित धाराओं के तहत कड़ी कार्रवाई का भी आदेश दिया गया था. परीक्षा के दिन एजेंसियों के बीच निर्बाध समन्वय के लिए एक वरिष्ठ अधिकारी को नियुक्त किया गया था, जबकि प्रत्येक जिले में पुलिस आयुक्त, एसएसपी और एसपी सीधे व्यवस्था की निगरानी कर रहे थे.पूरे उत्तर प्रदेश में परीक्षा के दौरान कहीं भी गड़बड़ी की शिकायत नहीं मिली.
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