Sawan Shivratri 2025: भक्त अगर पूजा के दौरान सही विधि और सावधानियों का पालन करें, तो उन्हें शिव कृपा सहज रूप से प्राप्त होती है. अतः इन छोटे-छोटे नियमों का पालन कर इस महापर्व को सार्थक बनाया जा सकता है.
Sawan Shivratri 2025: सावन के पावन महीने की शिवरात्रि आज, 23 जुलाई 2025 को देशभर में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाई जा रही है. हिंदू पंचांग के अनुसार, यह पर्व सावन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आता है और भगवान शिव की विशेष पूजा का दिन माना जाता है. शिवभक्त इस दिन व्रत रखते हैं, रात्रि जागरण करते हैं और चारों प्रहर विधिवत पूजन करते हैं. हालांकि इस विशेष दिन पर कुछ गलतियां ऐसी हैं, जो शिवभक्ति के प्रभाव को कम कर सकती हैं और भोलेनाथ को अप्रसन्न कर सकती हैं.
आज सुबह 4:39 बजे से चतुर्दशी तिथि शुरू हो चुकी है, जो रात 2:29 बजे तक रहेगी. व्रत का पारण 24 जुलाई को सुबह 5:38 बजे किया जाएगा. शिवरात्रि पर श्रद्धालु शिवलिंग का जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और विशेष मंत्रों से पूजन करते हैं. मगर धार्मिक ग्रंथों में स्पष्ट रूप से कुछ ऐसे कार्यों का निषेध किया गया है, जिन्हें शिव पूजन में करना वर्जित है।
पूजा में बरतें ये सावधानियां
सावन शिवरात्रि पर पूजा करते समय काले कपड़े पहनने से बचना चाहिए. इसके स्थान पर सफेद या हल्के रंगों के वस्त्र शिवभक्ति के लिए शुभ माने जाते हैं. शिवलिंग पर तुलसी का पत्ता चढ़ाना वर्जित है, क्योंकि यह भगवान विष्णु को समर्पित माना गया है. इसी तरह हल्दी का उपयोग भी शिव पूजन में नहीं किया जाता, क्योंकि यह सुहाग की निशानी मानी जाती है और शिवजी विरक्त योगी हैं.

शिवलिंग पर न चढ़ाएं ये वस्तुएं
पूजन के समय खंडित बेलपत्र या टूटे हुए अक्षत (चावल) अर्पण करने से बचें. शिवजी को पूर्ण और साफ वस्तुएं ही अर्पित करनी चाहिए. शंख से जल या दूध नहीं चढ़ाना चाहिए, क्योंकि शंख समुद्र मंथन से निकला था और विष के प्रभाव से जुड़ा हुआ है. पूजा के अंत में दीप जलाएं, लेकिन विषम संख्या में नहीं, बल्कि सम संख्या जैसे 2, 4, 6 दीपक जलाना शुभ माना जाता है.
पूजा के दौरान न करें ये आचरण
शिवलिंग की परिक्रमा पूरी नहीं करनी चाहिए, केवल आधी परिक्रमा करें और वापस लौट जाएं. शिवलिंग की पूजा के बाद कभी भी सीधे पीठ दिखाकर बाहर न निकलें. कुछ कदम उल्टे पांव चलें और फिर मुड़कर बाहर जाएं. साथ ही, केवड़ा और केतकी के फूल शिवजी को न चढ़ाएं, ये फूल शिव पूजन में वर्जित माने जाते हैं.
सावन शिवरात्रि का यह पावन पर्व शिवभक्ति और आत्मशुद्धि का अवसर है. भक्त अगर पूजा के दौरान सही विधि और सावधानियों का पालन करें, तो उन्हें शिव कृपा सहज रूप से प्राप्त होती है. अतः इन छोटे-छोटे नियमों का पालन कर इस महापर्व को सार्थक बनाया जा सकता है.
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