India’s 5 historical temples: ये मंदिर सिर्फ पूजा स्थलों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि भारतीय सभ्यता, वास्तुकला, संस्कृति और इतिहास के जीवंत प्रमाण हैं. इनकी दीवारों में न जाने कितनी कहानियां छिपी हैं. इन मंदिरों की यात्रा न सिर्फ धार्मिक अनुभूति देती है, बल्कि भारतीय इतिहास और विरासत से भी गहराई से जोड़ती है.
India’s 5 historical temples: भारत में ऐसे कई प्राचीन मंदिर हैं जो सिर्फ धार्मिक केंद्र नहीं, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर भी हैं. ये मंदिर न सिर्फ अपनी वास्तुकला और धार्मिक मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध हैं, बल्कि इनके पीछे की ऐतिहासिक घटनाएं, कहानियां और परंपराएं इन्हें और भी विशेष बनाती हैं. आज हम भारत के पांच ऐसे प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में जानेंगे जिनका इतिहास आज भी लोगों को रोमांचित करता है.
कोणार्क सूर्य मंदिर, ओडिशा

13वीं शताब्दी में निर्मित यह भव्य मंदिर सूर्य भगवान को समर्पित है और इसे गंग वंश के राजा नरसिंहदेव प्रथम ने बनवाया था. यह मंदिर एक विशाल रथ के आकार में बना है जिसमें बारह विशाल पहिए और सात घोड़े हैं. इसे यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल घोषित किया है. माना जाता है कि मंदिर का निर्माण इतनी अद्भुत तकनीक से हुआ था कि इसमें लोहे के मैग्नेटिक पत्थरों का उपयोग किया गया था जो मुख्य गुंबद को संतुलन में रखते थे. यह मंदिर स्थापत्य कला का एक अद्वितीय उदाहरण है.
बृहदीश्वर मंदिर, तंजावुर (तमिलनाडु)

राजा राजराज चोल द्वारा 1010 ईस्वी में बनवाया गया यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. यह चोल काल की वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है. इस मंदिर का मुख्य शिखर 216 फीट ऊंचा है और यह बिना किसी सीमेंट या चूने के एक ही ग्रेनाइट पत्थर से बनाया गया है. हैरानी की बात यह है कि इतना विशाल पत्थर 50 किलोमीटर दूर से लाया गया था. यह मंदिर चोल साम्राज्य की शक्ति और सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक है.
सोमनाथ मंदिर, गुजरात

सोमनाथ मंदिर भारत के सबसे प्राचीन शिव मंदिरों में से एक है. इसका उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है. इस मंदिर को बार-बार मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा तोड़ा गया, खासकर महमूद गजनवी द्वारा 1025 ईस्वी में, लेकिन हर बार इसे फिर से बनाया गया. मौजूदा संरचना का निर्माण भारत की स्वतंत्रता के बाद 1951 में सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रेरणा से हुआ. यह मंदिर भारतीय आस्था और पुनर्निर्माण की भावना का प्रतीक है.
काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)

वाराणसी स्थित यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसे द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है. इसका इतिहास हजारों साल पुराना है. मुगल शासक औरंगज़ेब ने पुराने मंदिर को ध्वस्त कर वहां ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई थी. बाद में 1780 में महारानी अहिल्याबाई होलकर ने वर्तमान मंदिर का पुनर्निर्माण कराया. यह मंदिर हिंदू धर्म की गहरी आस्था और इतिहास का प्रतीक है.
केदारनाथ मंदिर, उत्तराखंड

समुद्रतल से 11,755 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और पंच केदारों में सबसे प्रमुख माना जाता है. माना जाता है कि इसे आदि शंकराचार्य ने 8वीं सदी में पुनर्निर्मित किया था. यह मंदिर हर साल बर्फ और प्राकृतिक आपदाओं का सामना करता है, फिर भी अडिग खड़ा रहता है. 2013 की भीषण बाढ़ में जब पूरा क्षेत्र तबाह हो गया, तब भी मंदिर को कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ, जिसे चमत्कार माना गया. इसका इतिहास, स्थान और रहस्य इसे विशेष बनाते हैं.
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