Makar Sankranti Muhurat: इस लेख में आप जानेंगे कि मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है, इसका सही मुहूर्त क्या है और इस दिन कैसे पूजा करनी चाहिए.
15 December, 2025
Makar Sankranti Muhurat: साल का पहला त्योहार मकर संक्रांति है. यह हर साल 14 जनवरी को मनाई जाती है. देश के अलग-अलग हिस्सों में इसे सकरात, लोहड़ी, पोंगल और टहरी नाम से भी जाना जाता है. सनातन धर्म में इसका बहुत महत्व है, लेकिन कई लोगों को मकर संक्रांति मनाने के पीछे का करण नहीं पता होता. आजकल लोग अपने बच्चों को त्योहारों को महत्व नहीं बताते, जिस कारण उन्हें अपनी संस्कृति की जानकारी नहीं मिल पाती. आज हम बताएंगे कि मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है, इसका सही मुहूर्त क्या है और इस दिन कैसे पूजा करनी चाहिए.
मकर संक्रांति से शुरू होते हैं शुभ कार्य
हिंदू धर्म के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन सूर्यदेव बारह राशियों की यात्रा पूरी करके मकर राशि में प्रवेश करते हैं और नई यात्रा शुरू करते हैं. जैसे ही सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, उनका उत्तरायण शुरू होता है और उनकी शक्तियां बढ़ जाती हैं . इसी समय खरमास खत्म हो जाता है और माघ माह शुरू हो जाता है. इसी के साथ विवाह, मुंडन जैसे शुभ काम शुरू हो जाते हैं. इसलिए खुशियां मनाई जाती हैं. मकर संक्रांति के दिन सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. उन्हें लाल फूल, वस्त्र, गेहूं, चावल और सुपारी चढ़ाया जाता है. मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाई जाती है. वहीं बिहार में इस दिन दही और चूड़ा खाया जाता है.
मकर संक्रांति 2026 शुभ मुहूर्त
- पुण्य काल (शुभ अवधि): दोपहर 03:13 बजे से शाम 05:45 बजे तक
- महा पुण्य काल (सबसे शुभ अवधि): दोपहर 03:13 बजे से सुबह 04:48 बजे तक (दान के लिए शुभ)
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 5:27 बजे से 6:21 बजे तक (स्नान के लिए शुभ समय)
दान-पुण्य करें
मकर संक्रांति के दिन सूर्योदय से पहले उठकर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए. इसके बाद साफ सुथरे कपड़े पहनकर मंदिर की सफाई करें. एक तांबे के लोटे में साफ जल भरें, उसमें रोली, फूल, गुड़ और काला तिल डालकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें. ‘ऊं सूर्याय नम:’ का जाप करते हुए सूर्य को अर्घ्य दें. इसके बाद सूर्यदेव को तिल के लड्डू और खिचड़ी का भोग लगाएं. इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है. मकर संक्रांति के दिन जरूरतमंदों को दाल, चावल, काला-सफेद तिल, खिचड़ी और गुड़ का दान करना चाहिए. इस दिन सात्विक भोजन ही करना चाहिए.
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