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देश के इस राज्य में सरकारी वाहनों के दुरुपयोग पर लगेगी रोक, 15 साल से अधिक पुराने वाहन होंगे बंद

by Sanjay Kumar Srivastava
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Old Government Vehicles

Kolkata News: पुलिस विभाग के 698, परिवहन क्षेत्र के 481 और विभिन्न सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के 710 वाहनों को बंद किया जाएगा.

Kolkata News: पश्चिम बंगाल सरकार अब 15 साल से अधिक पुराने सरकारी वाहनों की जगह इलेक्ट्रिक वाहनों के चलाने पर विचार कर रही है. सरकार विशेषकर पुलिस और परिवहन विभाग के सरकारी वाहनों को बंद करेगी. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अपने वाहनों के बेड़े को आधुनिक बनाने के उद्देश्य से पश्चिम बंगाल सरकार ने 15 साल से अधिक पुराने लगभग 22,000 वाहनों को हटाने के लिए एक व्यापक सफाई अभियान शुरू किया है. उन्होंने बताया कि यह प्रक्रिया पहले से ही चल रही है और इसका उद्देश्य विभिन्न सरकारी विभागों, विशेषकर पुलिस और परिवहन द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे पुराने वाहनों को बंद करना है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इन पुराने वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों से बदलने पर जोर दे रही है.

22,000 वाहनों को बदला जाएगा कबाड़ में

अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया कि पुलिस विभाग के कम से कम 698 वाहन, परिवहन क्षेत्र के 481 वाहन और विभिन्न सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के 710 वाहनों को बंद करने के लिए चिह्नित किया गया है. उन्होंने कहा कि इसके अलावा लोक निर्माण, पंचायत और लोक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग (पीएचई) जैसे विभागों ने सामूहिक रूप से 19,000 से अधिक वाहनों को स्क्रैपिंग के लिए सूचीबद्ध किया है, जिससे कुल संख्या 22,000 के करीब पहुंच गई है. अधिकारी ने कहा कि परिवहन विभाग ने इन पुराने वाहनों की पहचान शुरू कर दी है और उन्हें सेवा से हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. उन्होंने कहा कि प्रत्येक विभाग को वाहनों के पंजीकरण विवरण के बारे में सूचित कर दिया गया है और उन्हें संचालन से वापस लेने का निर्देश दिया गया है. उन्होंने कहा कि सूची में सभी प्रकार के वाहन शामिल हैं, जिनमें से कई डेढ़ दशक से अधिक समय से उपयोग में हैं. उन्होंने कहा कि चूंकि इन वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाया जा रहा है, इसलिए कई विभागों ने पहले ही प्रतिस्थापन की खरीद शुरू कर दी है.

सरकार का इलेक्ट्रिक वाहनों पर जोर

अधिकारी ने कहा कि राज्य सरकार पुराने वाहनों को बदलने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर जोर दे रही है. अधिकारी ने कहा कि स्थायी और पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं की ओर बदलाव में, पारंपरिक ईंधन आधारित वाहनों की तुलना में इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद को प्राथमिकता दी जा रही है. इसके अलावा, कई विभाग वाहन स्वामित्व से पूरी तरह से दूर जा रहे हैं और इसके बजाय आधिकारिक उपयोग के लिए वाहन किराए पर लेना पसंद कर रहे हैं.यह निर्णय न केवल बजटीय कारणों से, बल्कि अधिक लचीलेपन और दक्षता की आवश्यकता से भी उपजा है. अब बड़ी संख्या में वाहन किराए पर लिए जा रहे हैं, जो सरकारी परिवहन सेवाओं के प्रबंधन में एक बड़ा बदलाव दर्शाता है. उन्होंने आगे कहा कि इस पहल का उद्देश्य सरकारी वाहनों के दुरुपयोग को कम करना है.

अनियमितताओं पर लगेगा अंकुश

प्रशासनिक हलकों में यह व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है कि कई सरकारी वाहनों का उपयोग अक्सर आधिकारिक कार्यों के बजाय निजी कार्यों के लिए किया जाता है. अधिकारी ने कहा कि इसके अलावा ऐसे उदाहरण भी सामने आए हैं जहां ऐसे व्यक्तियों को वाहन प्रदान किया गया है जिनके पास वाहन का अधिकार नहीं था. बड़ी संख्या में वाहनों को सेवा से हटाने से इन अनियमितताओं पर अंकुश लगने की उम्मीद है. सेवामुक्त किए जाने वाले वाहनों के भविष्य के बारे में बात करते हुए अधिकारी ने कहा कि उन्हें विभिन्न सरकारी स्वामित्व वाले खुले स्थानों और डिपो में ले जाया गया है, जहां उन्हें तब तक संग्रहीत किया जाएगा जब तक कि उन्हें चरणबद्ध तरीके से स्क्रैप नहीं किया जाता. अधिकारी ने कहा कि पूरी स्क्रैपिंग प्रक्रिया सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का कड़ाई से पालन करते हुए की जा रही है.

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