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भारत इमरजेंसी प्रोक्योरमेंट के तहत खरीदेगा 85 V-SWORD मिसाइलें, नाइट विजन साइट्स

by Rishi
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Indian Army: V-Sword मिसाइल एक अत्याधुनिक बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली है, जो दुश्मन के लड़ाकू विमानों, हेलिकॉप्टरों, ड्रोनों और क्रूज मिसाइलों को निशाना बनाने में सक्षम है.

Indian Army: भारतीय सेना अपनी वायु रक्षा क्षमताओं को और मजबूत करने के लिए इमरजेंसी प्रोक्योरमेंट के तहत 85 वी-शॉर्ड (वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम) मिसाइलें खरीदने जा रही है. इसके साथ ही 48 लॉन्चर, 48 नाइट विजन साइट्स और एक मिसाइल टेस्ट स्टेशन भी अधिग्रहित किया जाएगा. रक्षा मंत्रालय ने इस खरीद के लिए रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (RFP) जारी किया है, जो “खरीदें (भारतीय)” श्रेणी के तहत होगी, जिससे स्वदेशी रक्षा उद्योग को बढ़ावा मिलेगा. यह कदम सीमा पर बढ़ते खतरों और आधुनिक युद्ध की जरूरतों को देखते हुए उठाया गया है.

V-SWORD मिसाइल की खासियत

V-SWORD मिसाइल एक अत्याधुनिक बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली है, जो दुश्मन के लड़ाकू विमानों, हेलिकॉप्टरों, ड्रोनों और क्रूज मिसाइलों को निशाना बनाने में सक्षम है. इसकी कई विशेषताएं हैं जैसे-

  • रेंज और सटीकता: यह मिसाइल 6-8 किलोमीटर की रेंज में सटीक हमला कर सकती है, जो इसे नजदीकी खतरों के खिलाफ प्रभावी बनाती है.
  • पोर्टेबिलिटी: मैन-पोर्टेबल और वाहन-आधारित लॉन्चर के साथ, यह प्रणाली युद्धक्षेत्र में तेजी से तैनात की जा सकती है.
  • नाइट विजन क्षमता: 48 नाइट विजन साइट्स के साथ, यह प्रणाली रात के समय या कम रोशनी में भी दुश्मन के हवाई हमलों को विफल कर सकती है.
  • ऑल-वेदर परफॉर्मेंस: V-SWORD हर मौसम में काम करने में सक्षम है, जो इसे पहाड़ी और रेगिस्तानी इलाकों में उपयोगी बनाता है.
  • स्वदेशी तकनीक: यह प्रणाली भारत में विकसित की जा रही है, जो ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को मजबूती देती है.

रणनीतिक महत्व

यह खरीद भारतीय सेना की त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता को बढ़ाएगी, खासकर चीन और पाकिस्तान से लगी सीमाओं पर. हाल के वर्षों में ड्रोन हमलों और कम ऊंचाई पर उड़ने वाले खतरों में वृद्धि को देखते हुए, V-SWORD जैसी प्रणाली रक्षा तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा है. नाइट विजन साइट्स और लॉन्चर की खरीद से सेना को रात के समय भी हवाई खतरों से निपटने की क्षमता मिलेगी.

आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम

रक्षा मंत्रालय ने इस खरीद को “खरीदें (भारतीय)” श्रेणी के तहत रखा है, जिसका मतलब है कि यह प्रणाली पूरी तरह से स्वदेशी होगी. इससे न केवल भारतीय रक्षा उद्योग को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि हजारों रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे. रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भारत को वैश्विक रक्षा बाजार में एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण है.

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