Nirjala Ekadashi 2025: निर्जला एकादशी 6 जून 2025 को है. यह व्रत सबसे कठिन माना जाता है क्योंकि इसमें अन्न और जल दोनों का पूर्ण त्याग करना होता है. गर्मी के मौसम में यह व्रत करना एक बड़ी तपस्या मानी जाती है.
Nirjala Ekadashi 2025: हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आने वाली निर्जला एकादशी इस वर्ष 6 जून 2025 को मनाई जाएगी. यह एकादशी न केवल व्रत और पूजा का अवसर है, बल्कि आत्म-संयम, भक्ति और सेवा का संगम भी है. मान्यता है कि इस दिन श्रद्धापूर्वक व्रत रखने से पूरे वर्ष की सभी 24 एकादशियों का पुण्य प्राप्त होता है.
लेकिन यह व्रत जितना पुण्यदायी है, उतना ही कठिन भी माना जाता है. इसकी कठिनता का कारण हैं इसके कठोर नियम, जिनका पालन करना हर व्यक्ति के लिए आसान नहीं होता. आइए जानते हैं वो पांच प्रमुख नियम जो निर्जला एकादशी को सबसे कठिन व्रत बनाते हैं.
जल तक का त्याग
निर्जला एकादशी का सबसे प्रमुख और कठिन नियम यह है कि इस दिन जल तक का त्याग करना होता है. ‘निर्जला’ का शाब्दिक अर्थ ही होता है, बिना जल के. व्रतधारी को पूरे दिन अन्न और जल दोनों का त्याग करना पड़ता है. एक बूंद पानी भी पीने से व्रत खंडित माना जाता है.

फलाहार और जूस भी वर्जित
अन्य एकादशी व्रतों में व्रती फलाहार या जलाहार कर सकते हैं, लेकिन निर्जला एकादशी पर फल, फलों का रस या दूध का सेवन भी निषिद्ध होता है. यह पूर्ण निर्जल और निराहार व्रत होता है, जिससे इसकी तपस्या और भी कठिन हो जाती है.
प्रचंड गर्मी में होता है यह व्रत
निर्जला एकादशी आमतौर पर ज्येष्ठ माह में आती है, जब उत्तर भारत में तीव्र गर्मी होती है. इस मौसम में अन्न और जल का त्याग करना व्रतधारियों के लिए शारीरिक रूप से बेहद चुनौतीपूर्ण होता है. इसके बावजूद श्रद्धालु इस कठिन तप का पालन पूरी आस्था से करते हैं.
मन, वचन और व्यवहार की पवित्रता
इस व्रत में सिर्फ शरीर को ही नहीं, बल्कि मन और वाणी को भी शुद्ध और संयमित रखना जरूरी होता है. किसी से कटु वचन न बोलें, क्रोध या विवाद से बचें और मानसिक रूप से भी निर्मल रहें. इस दिन व्यर्थ की बातों और झूठ से दूर रहना चाहिए. यह आत्म-नियंत्रण का प्रतीक है.
ब्रह्मचर्य और रात्रि जागरण
निर्जला एकादशी के दिन व्रती को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और रात्रि में जागरण करके भजन-कीर्तन में समय बिताना चाहिए. रात्रि जागरण से मानसिक शुद्धता बढ़ती है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है.
व्रत का महत्व
मान्यता है कि जो व्यक्ति निर्जला एकादशी का व्रत पूरी श्रद्धा और नियमों के साथ करता है, उसे सभी 24 एकादशियों का पुण्य फल प्राप्त होता है. यह व्रत मोक्ष की प्राप्ति में सहायक माना जाता है और जीवन में आत्म-नियंत्रण की दिशा में एक बड़ा कदम होता है.
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