राजस्थान में जगुआर लड़ाकू विमान दुर्घटना में भारतीय वायुसेना के दो पायलटों की मौत की दुखद खबर सामने आई है. दुर्घटना में किसी भी नागरिक संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचा.
IAF Jaguar fighter jet crash in Rajasthan: राजस्थान के चुरू के पास बुधवार को हुए जगुआर लड़ाकू विमान दुर्घटना में भारतीय वायुसेना (आईएएफ) के दो पायलट मारे गए हैं. अहम ये है कि मार्च के बाद से दोहरे इंजन वाले इस बमवर्षक विमान से जुड़ी यह तीसरी दुर्घटना है. आईएएफ ने कहा कि दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए एक कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी गठित की गई है. इस संबंध में एक बयान भी जारी किया गया है. बयान में कहा गया, “आज राजस्थान के चुरू के पास एक नियमित प्रशिक्षण मिशन के दौरान भारतीय वायुसेना का एक जगुआर प्रशिक्षक विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया.” कहा गया कि दुर्घटना में किसी भी नागरिक संपत्ति को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है.आईएएफ ने कहा कि उसे जानमाल के नुकसान पर “गहरा खेद” है और वह इस दुख की घड़ी में शोक संतप्त परिवारों के साथ मजबूती से खड़ी है. इस मामले के काफी तूल पकड़ने के आसार जताए जा रहे हैं.
घटनास्थल पर पहुंचे स्थानीय लोग
न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक आईएएफ ने अभी तक मृतक पायलटों के नाम सार्वजनिक नहीं किए हैं. दुर्घटना के तुरंत बाद, स्थानीय लोग घटनास्थल पर पहुँचे और उन्हें जलता हुआ मलबा मिला. जगुआर विमान से जुड़ी इस तीसरी घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. इससे पहले सात मार्च को, अंबाला एयरबेस से उड़ान भरने के तुरंत बाद सिस्टम में खराबी के कारण एक जगुआर लड़ाकू विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. पायलट ने विमान को जमीन पर बस्ती से दूर ले जाकर सुरक्षित रूप से बाहर निकलने में कामयाब रहे थे. वहीं दो अप्रैल को, गुजरात के जामनगर वायुसेना स्टेशन के पास एक गांव में तकनीकी खराबी के कारण एक और जगुआर विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया. विमान एक ट्रेनिंग मिशन पर था.इस दुर्घटना में भी एक पायलट की मौत हो गई, जबकि दूसरा घायल हो गया था.
कौनसी कंपनी बनाती है विमान?
जगुआर एक ब्रिटिश-फ्रांसीसी लड़ाकू विमान है जो मूल रूप से ब्रिटिश रॉयल एयर फोर्स और फ्रांसीसी एयर फोर्स में तैनात था. जगुआर की पहली उड़ान 8 सितंबर, 1968 को हुई थी. भारत ने 1970 के दशक के अंत में इस जेट को अपने बेड़े में शामिल करना शुरू किया. भारत ने 116 जगुआर विमानों को अपने बेड़े में शामिल किया, जिनमें से 70 का उत्पादन देश में लाइसेंस के तहत किया गया था. फ्रांसीसी वायु सेना ने जुलाई 2005 तक इस जेट विमान को उड़ाया, जबकि रॉयल एयर फोर्स ने अप्रैल 2007 के अंत तक इसका इस्तेमाल किया.
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