Home राज्यRajasthan Ajmer Court के खिलाफ दिव्यकीर्ति ने खटखटाया राजस्थान HC का दरवाजा, न्याय व्यवस्था पर की थी टिप्पणी

Ajmer Court के खिलाफ दिव्यकीर्ति ने खटखटाया राजस्थान HC का दरवाजा, न्याय व्यवस्था पर की थी टिप्पणी

by Sachin Kumar
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Drishti IAS Divyakirti Raj HC against Ajmer court summon judiciary remarks

Vikas Divyakirti Case: विकास दिव्यकीर्ति की मुश्किलें थोड़ी बढ़ती हुई दिखाई दे रही हैं क्योंकि उनकी व्यंग्यात्मक टिप्पणी पर जवाब तलब करने के लिए कहा है. इसी बीच उन्होंने राजस्थान हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

Vikas Divyakirti Case: दृष्टि आईएएस कोचिंग के संस्थापक विकास दिव्यकीर्ति (Vikas Divyakirti) ने अपने खिलाफ अधीनस्थ न्यायालय में दायर मानहानि की शिकायत को खारिज करने के लिए राजस्थान हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. यह शिकायत एक वीडियो से संबंधित है जिसमें दिव्यकीर्ति की तरफ से कथित तौर पर न्याय व्यवस्था और न्यायपालिका के कामकाज के बारे में कुछ व्यंग्यात्मक तरीके से टिप्पणी की गई थीं. इसी बीच अजमेर में रहने वाले एक वकील ने निचली अदालत में याचिका दायर की थी. इसके बाद स्थानीय अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए शिकायत पर तत्काल संज्ञान लिया और उन्हें 22 जुलाई को कोर्ट में तलब करने के लिए कहा.

21 जुलाई को सूचीबद्ध किया था मामला

स्थानीय अदालत के खिलाफ अब दिव्यकीर्ति ने हाई कोर्ट की तरफ रुख किया है. यह मामला हाई कोर्ट में 21 जुलाई को सूचीबद्ध किया गया है और न्यायमूर्ति समीर जैन इस मामले में सुनवाई करेंगे. मामला यह है कि एक वीडियो से शुरू हुआ है जिसमें दिव्यकीर्ति ने कथित तौर पर न्याय व्यवस्था और न्यायपालिका के कामकाज पर सवाल खड़े किए थे. वहीं, दिव्यकीर्ति की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता सुमीर सोढ़ी ने अजमेर न्यायालय में तर्क दिया कि मामला नहीं बनता है और मामले को खारिज कर दिया जाए.

कई धाराओं में दर्ज की गई शिकायत

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अजमेर कोर्ट ने कहा था कि प्रथम दृष्टया इस बात के पूरे साक्ष्य मिलते हैं कि दिव्यकीर्ति ने दुर्भावनापूर्ण मंशा से अदालत के खिलाफ ‘अपमानजनक और व्यंग्यात्मक भाषा’ का इस्तेमाल किया है. वहीं, शिकायत को भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की धाराओं 353(2) (सार्वजनिक उपद्रव), 356(2), (3) (मानहानि) और IT एक्ट की धारा 66A(b) के तहत दर्ज की गई है. इस मामले में अजमेर कोर्ट के अतिरिक्त सिविल न्यायाधीश और न्यायिक मजिस्ट्रेट मनमोहन चंदेल ने अपने आदेश में कहा कि अदालत की कार्रवाई का उपहास उड़ाया गया है, जिससे हर उस वक्ति की गरिमा, निष्पक्षता और प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने का काम किया है जो अदालत में विश्वास रखता है. इसके अलावा न्यायपालिका की छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई है.

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