Kartarpur Corridor: करतारपुर कॉरिडोर केवल एक धार्मिक मार्ग नहीं, बल्कि विभाजन से बिछड़े पंजाबियों के दिलों को जोड़ने का जरिया है. जत्थेदार गरगज की ये अपील न सिर्फ धार्मिक भावनाओं से जुड़ी है, बल्कि यह विभाजन की पीड़ा को भी याद दिलाती है.
Kartarpur Corridor: अकाल तख़्त के कार्यकारी जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गरगज ने गुरुवार को केंद्र सरकार से करतारपुर कॉरिडोर को दोबारा खोलने की मांग की. उनका कहना है कि गुरु नानक देव जी के ‘ज्योति जोत दिवस’ से पहले यदि यह मार्ग खोला जाता है तो संगत पवित्र दरबार साहिब गुरुद्वारा (पाकिस्तान) में जाकर मत्था टेक सकेगी. यह कॉरिडोर मई से बंद है, जब भारतीय सेना ने पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान और पीओके में आतंकियों के ठिकानों पर ऑपरेशन सिंदूर चलाया था.
करतारपुर कॉरिडोर का ऐतिहासिक महत्व
करतारपुर कॉरिडोर की शुरुआत गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व पर की गई थी. इस कॉरिडोर ने भारत और पाकिस्तान के बीच बंटे हुए पंजाबियों को एक बार फिर जोड़ने का काम किया. विभाजन के समय बिछड़े कई परिवारों को इस कॉरिडोर के जरिए दोबारा मिलने का अवसर मिला. यह मार्ग दरबार साहिब गुरुद्वारा (पाकिस्तान) जो गुरु नानक देव जी का अंतिम विश्राम स्थल है, को पंजाब के गुरदासपुर जिले स्थित डेरा बाबा नानक से जोड़ता है. धार्मिक दृष्टि से यह स्थान पूरी सिख संगत के लिए अत्यंत आस्था और भावनाओं का केंद्र है.
विभाजन का घाव और पंजाब का दर्द
ज्ञानी कुलदीप सिंह गरगज ने कहा कि 1947 का विभाजन पंजाबियों के लिए केवल सीमाओं का बंटवारा नहीं था, बल्कि यह उनके जीवन, संस्कृति और आस्था का विखंडन भी था. विभाजन के समय पंजाब के पश्चिमी हिस्से के सिखों को अपनी उपजाऊ जमीनें और घर छोड़ने पड़े. इसके साथ ही उन्हें अपने 200 से अधिक गुरुघरों को खोने का दर्द भी सहना पड़ा, जिनमें गुरु नानक देव जी का पवित्र जन्मस्थान ननकाना साहिब गुरुद्वारा भी शामिल है. उन्होंने कहा कि पंजाबियों के लिए 1947 आज भी “विनाश और बर्बादी” का वर्ष माना जाता है. यह दर्द केवल सिखों का नहीं, बल्कि यहां रहने वाले हिंदू और मुस्लिम परिवारों का भी साझा है.
SGPC की पहल और श्रद्धांजलि कार्यक्रम
ज्ञानी गरगज ने जानकारी दी कि विभाजन में शहीद हुए पंजाबी भाई-बहनों की याद में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) लगातार श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित करती है. इस वर्ष भी 14 अगस्त को अकाल तख़्त पर अखंड पाठ साहिब की शुरुआत की गई, जिसका भोग 16 अगस्त को होगा. इसके बाद एक सामूहिक अरदास आयोजित की जाएगी, जिसमें विभाजन के दौरान अपनी जान गंवाने वाले सभी लोगों को श्रद्धांजलि दी जाएगी. उन्होंने कहा कि इस स्मृति से यह संदेश दिया जाता है कि भविष्य में कभी भी किसी भी हिस्से में ऐसी त्रासदी और रक्तपात न हो.
सरकार से जत्थेदार की अपील
अकाल तख़्त जत्थेदार ने कहा कि करतारपुर कॉरिडोर का बंद रहना संगत के लिए गहरी पीड़ा का विषय है. उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि गुरु नानक देव जी के ज्योति जोत दिवस से पहले इसे तुरंत खोला जाए ताकि श्रद्धालु अपनी आस्था के इस पवित्र स्थल पर जाकर मत्था टेक सकें. उन्होंने यह भी कहा कि इस कॉरिडोर के पुनः खुलने से भारत और पाकिस्तान के बीच आपसी भाईचारे और मानवीय संबंधों को भी एक नई दिशा मिलेगी.
करतारपुर कॉरिडोर केवल एक धार्मिक मार्ग नहीं, बल्कि विभाजन से बिछड़े पंजाबियों के दिलों को जोड़ने का प्रतीक भी है. जत्थेदार गरगज की अपील न सिर्फ धार्मिक भावनाओं से जुड़ी है, बल्कि यह विभाजन की पीड़ा को भी याद दिलाती है. अब यह देखना होगा कि केंद्र सरकार इस मांग पर कितना शीघ्र और सकारात्मक कदम उठाती है.
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