Cloudburst in Kashmir: चिसोती गांव की यह आपदा जम्मू-कश्मीर की उन सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक बन गई है, जिसने न केवल सैकड़ों परिवारों को गहरे सदमे में डाल दिया, बल्कि पूरे देश को झकझोर दिया. राहत और बचाव कार्य तेज़ी से चल रहा है.
Cloudburst in Kashmir: जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ ज़िले के पड्डर सब-डिविजन के चिसोती गांव में आई विनाशकारी बादल फटने की घटना को तीन दिन बीत चुके हैं. इस हादसे ने न केवल मकान, बाज़ार और मंदिरों को तबाह कर दिया, बल्कि सैकड़ों परिवारों की दुनिया उजाड़ दी. 82 लोग अब भी लापता हैं, जिनमें ज्यादातर मचैल माता यात्रा के श्रद्धालु शामिल हैं. राहत और बचाव अभियान लगातार जारी है, लेकिन हर गुजरते घंटे के साथ परिजनों की उम्मीदें और चिंता बढ़ रही है.
तीन दिन से लापता श्रद्धालुओं की तलाश
गुरुवार दोपहर करीब 12:25 बजे आए इस बादल फटने से चिसोती गांव में भीषण तबाही हुई. अब तक 60 लोगों की मौत और 100 से अधिक घायल होने की पुष्टि हुई है. 16 घर, तीन मंदिर, एक सामुदायिक लंगर, एक सुरक्षा चौकी और कई वाहन बर्बाद हो गए. जम्मू, उधमपुर और सांबा ज़िले के सबसे अधिक 60 लोग लापता हैं. वहीं हरियाणा, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश से आए श्रद्धालुओं का भी कोई पता नहीं चल पाया है. सीआईएसएफ का एक जवान भी अब तक लापता है.
परिवारों का गम और टूटी उम्मीदें
गांवों से आए श्रद्धालुओं के घरों में मातम पसरा हुआ है. जम्मू के बाहरी इलाके बेनागढ़ गांव के सात लोग, जिनमें चार बच्चे भी शामिल हैं, अब तक नहीं मिले हैं. कुछ परिजनों ने बताया कि उन्होंने हादसे के बाद से भोजन तक नहीं किया है और लगातार अपनों के लौटने की दुआ कर रहे हैं. सांबा ज़िले के सराय गांव की पूनम और उनकी बेटियां राशिका और नामिका भी लापता हैं, जबकि पति और बेटा बच गए. इसी तरह जम्मू, सांबा और विजयपुर से कई परिवारों के लोग अब भी लापता हैं. शव मिलने की सूचना पर परिजन अस्पताल और मुर्दाघरों के चक्कर लगा रहे हैं. एक मां ने कहा,“मेरी दोनों बेटियां मुझसे छिन गईं, मेरा संसार खत्म हो गया.”
राहत कार्य जारी, पर हालात गंभीर
एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सेना, पुलिस, बॉर्डर रोड्स ऑर्गेनाइजेशन और स्थानीय लोग मिलकर लगातार मलबा हटाने और शवों की तलाश में जुटे हैं. अब तक 46 शवों की पहचान कर परिजनों को सौंपा जा चुका है. हालांकि तेज धाराओं और मलबे के कारण कई जगहों पर बचाव कार्य में दिक्कतें आ रही हैं. प्रशासन ने फिलहाल मचैल माता यात्रा को तीसरे दिन भी स्थगित रखा है, जो 25 जुलाई से शुरू होकर 5 सितंबर तक चलने वाली थी.
चिसोती गांव की यह आपदा जम्मू-कश्मीर की उन सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक बन गई है, जिसने न केवल सैकड़ों परिवारों को गहरे सदमे में डाल दिया, बल्कि पूरे देश को झकझोर दिया. राहत और बचाव कार्य तेज़ी से चल रहा है, लेकिन लापता लोगों के परिजनों के लिए हर बीतता पल उम्मीद और निराशा के बीच जंग जैसा है. प्रशासन और बचाव दलों की कोशिश है कि जल्द से जल्द लापता श्रद्धालुओं का पता लगाया जा सके, ताकि परिवारों को कुछ राहत मिल सके.
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