Call center busted: पुलिस ने बताया कि दिल्ली, हरियाणा और तेलंगाना में गिरफ्तारियां की गईं. आरोपियों के पास से कुल 41 मोबाइल फोन जब्त किए गए.
Call center busted: दिल्ली पुलिस ने विकासपुरी इलाके में एक अवैध कॉल सेंटर का भंडाफोड़ करते हुए छह साइबर जालसाजों को गिरफ्तार किया है. अधिकारियों ने रविवार को बताया कि वे क्रेडिट कार्ड की सीमा बढ़ाने और पिन जनरेशन सहायता के नाम पर नए कार्डधारकों को कथित तौर पर निशाना बनाते थे. पुलिस ने बताया कि दिल्ली, हरियाणा और तेलंगाना में गिरफ्तारियां की गईं. आरोपियों के पास से कुल 41 मोबाइल फोन, एक लैपटॉप, एक राउटर और बैंक ग्राहक डेटा वाली डायरियां जब्त की गईं. पुलिस के अनुसार आरोपियों की पहचान विजय कुमार शर्मा (46), मूलचंद मिश्रा (51), अमित (27), प्रदीप साहू (28), गौरव (38) और हेमंत (25) के रूप में हुई है. सिंडिकेट ने कई पीड़ितों से लगभग 85 लाख रुपये ठगे. बरामद मोबाइल नंबरों के खिलाफ राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) पर पहले से ही 95 शिकायतें दर्ज हैं.
पिन जनरेट करने के नाम पर निकाले 2.81 लाख रुपये
पुलिस उपायुक्त (द्वारका) अंकित सिंह ने बताया कि यह मामला तब सामने आया जब द्वारका निवासी वीरेंद्र कुमार (42) ने 21 जून को शिकायत दर्ज कराई कि एक नए निजी बैंक के क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करने के बाद उन्हें पिन जनरेट करने के लिए एक कॉल आया. जल्द ही उनके खाते से 2.81 लाख रुपये के अनधिकृत लेनदेन का पता चला. उन्होंने बताया कि शिकायत के बाद एक प्राथमिकी दर्ज की गई और आगे की जांच शुरू की गई. अधिकारी ने बताया कि आरोपी एक अवैध कॉल सेंटर चलाते थे, जहां टेलीकॉलर खुद को बैंक अधिकारी बताते थे. वे बिना किसी शक के क्रेडिट कार्ड धारकों से संपर्क करते थे और उन्हें बढ़ी हुई क्रेडिट सीमा या पिन जनरेट करने में मदद का झांसा देते थे. बातचीत के दौरान वे पीड़ितों को एक APK फ़ाइल डाउनलोड करने के लिए उकसाते थे, जिससे धोखेबाज़ उनके मोबाइल फोन तक, एसएमएस सहित, दूर से ही पहुंच सकते थे. इससे उन्हें ओटीपी और बैंकिंग विवरणों पर नियंत्रण मिल जाता था.
विकासपुरी और हैदराबाद में एक साथ छापेमारी
श्री सिंह ने कहा कि इसके बाद गिरोह चुराए गए क्रेडेंशियल्स का इस्तेमाल पीड़ित के क्रेडिट कार्ड की सीमा समाप्त करने के लिए करता था. इसके लिए वह पैसे बैंक खातों में ट्रांसफर करता था या ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के जरिए महंगे मोबाइल फोन खरीदता था. बाद में धोखेबाज इन फोनों को स्थानीय खुदरा विक्रेताओं को रियायती दरों पर बेच देते थे और खुद को कंपनी का डीलर बताते थे. पुलिस ने बताया कि तकनीकी निगरानी से पता चला कि शिकायतकर्ता को धोखाधड़ी वाली कॉल विकासपुरी इलाके से आई थी. आगे की जांच में पता चला कि अपराध में इस्तेमाल किए गए नकली खाते और नकली सिम कार्ड हरियाणा के पानीपत, पंजाब के बठिंडा और तेलंगाना के हैदराबाद में थे. विकासपुरी और हैदराबाद में एक साथ छापेमारी की गई, जिसके बाद सरगना विजय शर्मा और उसके साथियों को गिरफ्तार किया गया. पुलिस ने बताया कि शर्मा ने पीड़ितों को लुभाने के लिए चार महिला टेलीकॉलर्स को शामिल किया था, जिसके बाद वह खुद कॉल संभालता था. APK फ़ाइलें भेजता था और पैसे निकालता था.
मास्टरमाइंड के पास एलएलबी की डिग्री
पुलिस ने बताया कि हैदराबाद से काम कर रहा अमित नकली सिम कार्ड और नकली बैंक खातों का प्रबंधन करता था, जबकि प्रदीप साहू धोखाधड़ी के लिए हरियाणा में गरीब लोगों के सिम कार्ड हासिल करता था. मूलचंद मिश्रा फर्जी कॉल सेंटर के मैनेजर के रूप में काम करता था और गौरव ड्राइवर और सह-भागीदार के रूप में सहायता करता था. सभी आरोपियों का प्रोफाइल साझा करते हुए पुलिस ने कहा कि उत्तम नगर निवासी विजय के पास बी.कॉम, एलएलबी की डिग्री है और उसके पास सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर की तकनीकी डिग्री है. वह रैकेट का कथित मास्टरमाइंड है. हरियाणा के पानीपत के अमित के पास केवल प्राथमिक स्कूल की शिक्षा है और वह खच्चर खातों और सिम कार्ड को संभालता था. उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के मूलचंद ने कक्षा 10 तक पढ़ाई की और कॉल सेंटर के मैनेजर के रूप में काम किया. पुलिस ने कहा कि पानीपत का ही प्रदीप एक प्राथमिक स्कूल पास है जो सिम कार्ड की आपूर्ति करता है, जबकि दिल्ली के किराड़ी का गौरव 7 वीं कक्षा तक पढ़ा है. उत्तम नगर का ही हेमंत 12 वीं कक्षा तक पढ़ा है और ऑपरेशन में सहायता करता था.
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