Trump on Russia-Ukraine: ट्रंप की मध्यस्थता ने दुनिया में शांति की उम्मीद और संदेह दोनों पैदा किए हैं. यूरोपीय देश जहां युद्धविराम और सुरक्षा गारंटी पर जोर दे रहे हैं, वहीं रूस और यूक्रेन की वास्तविक इच्छाशक्ति पर सबकी नजरें टिकी हैं.
Russia-Ukraine: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए घोषणा की है कि वे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की की आमने-सामने मुलाकात की व्यवस्था कर रहे हैं. ट्रंप के इस ऐलान के बाद यूरोप में मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिली है, जहां एक ओर उम्मीद जगी है, वहीं दूसरी ओर आशंका भी गहराई है कि कहीं यह पहल पुतिन को और मज़बूत न कर दे.
पुतिन से फोन पर बात, फिर ऐलान
ट्रंप ने सोमवार को ज़ेलेंस्की और यूरोपीय नेताओं के साथ बैठक के तुरंत बाद सोशल मीडिया पर लिखा, “मैंने राष्ट्रपति पुतिन को फोन किया और दोनों राष्ट्रपतियों की सीधी मुलाकात के लिए शुरुआती तैयारी शुरू कर दी है.” उन्होंने कहा कि इस बैठक के बाद एक त्रिपक्षीय चर्चा होगी, जिसमें वह खुद भी शामिल होंगे. हालांकि, क्रेमलिन की ओर से अभी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.
ज़ेलेंस्की की शर्तें और नरमी
अब तक ज़ेलेंस्की लगातार यह कहते रहे थे कि किसी भी शिखर बैठक से पहले रूस को युद्धविराम मानना होगा. लेकिन सोमवार को उनका स्वर कुछ नरम दिखा. उन्होंने कहा, ‘अगर हम शर्तें रखेंगे, तो रूस भी अपनी शर्तें रखेगा. इसलिए हमें बिना शर्त मुलाकात करनी चाहिए ताकि शांति की राह निकले.’
यूरोप का दबाव और आशंका
व्हाइट हाउस बैठक में मौजूद NATO महासचिव मार्क रुट्टे ने साफ कहा कि यदि रूस बातचीत में सहयोग नहीं करता तो अमेरिका और यूरोप मिलकर मास्को पर और कड़े आर्थिक प्रतिबंध और टैरिफ लगाएंगे. वहीं जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज और फ्रांस के नेताओं ने ट्रंप की पहल का स्वागत किया लेकिन साथ ही तत्काल युद्धविराम की मांग दोहराई.
ट्रंप का सुरक्षा आश्वासन, लेकिन ‘नाटो जैसी’ व्यवस्था
ट्रंप ने यूरोप को भरोसा दिलाया कि अमेरिका यूक्रेन की सुरक्षा गारंटी का हिस्सा बनेगा, हालांकि उन्होंने अमेरिकी सैनिक भेजने से इंकार किया. उन्होंने कहा कि एक ‘NATO जैसी सुरक्षा उपस्थिति’ पर चर्चा होगी, जिसके ब्योरे ईयू नेताओं के साथ तय किए जाएंगे.
ज़ेलेंस्की ने जोर देकर कहा कि अमेरिका की गहरी भागीदारी बेहद अहम है ताकि सुरक्षा गारंटी केवल कागज़ों तक सीमित न रह जाए.
रूस की चेतावनी
रूस के विदेश मंत्रालय ने ट्रंप के सुरक्षा आश्वासन पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने कहा कि यूक्रेन में NATO जैसी शांति सेना की तैनाती ‘खतरनाक और अप्रत्याशित परिणाम’ ला सकती है.
परिदृश्य और सवाल
ट्रंप की इस नई कोशिश को उनके पिछले बयानों से पलटी मानी जा रही है। हाल ही में उन्होंने संकेत दिया था कि यूक्रेन को रूस द्वारा कब्जाए गए कुछ इलाकों को छोड़ना पड़ सकता है. अब वह “अंतिम शांति समझौते” की बात कर रहे हैं. सवाल यह है कि क्या पुतिन वास्तव में इस बैठक के लिए तैयार होंगे और क्या यूक्रेन किसी भी तरह की रियायत देगा?
ट्रंप की मध्यस्थता ने दुनिया में शांति की उम्मीद और संदेह दोनों पैदा किए हैं. यूरोपीय देश जहां युद्धविराम और सुरक्षा गारंटी पर जोर दे रहे हैं, वहीं रूस और यूक्रेन की वास्तविक इच्छाशक्ति पर सबकी नज़रें टिकी हैं. आने वाले हफ्ते यह तय करेंगे कि यह पहल वास्तव में शांति की ओर पहला कदम है या एक नई राजनीतिक चाल.
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