IIT Guwahati on Black Hole: IIT गुवाहाटी और ISRO की यह उपलब्धि न केवल भारत की अंतरिक्ष विज्ञान में बढ़ती ताकत का सबूत है, बल्कि यह पूरी मानवता को ब्रह्मांड की गहराइयों को समझने में एक नया दृष्टिकोण देती है.
IIT Guwahati on Black Hole: ब्लैक होल को लेकर दुनिया भर के वैज्ञानिकों में हमेशा जिज्ञासा रही है. अब IIT गुवाहाटी, इसरो (URSC) और इजराइल की हाइफ़ा यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा रहस्य उजागर किया है, जिसने ब्रह्मांड की गहराइयों को समझने की दिशा में नया रास्ता दिखाया है. उन्होंने पृथ्वी से करीब 28,000 प्रकाश वर्ष दूर स्थित एक ब्लैक होल से निकलने वाले रहस्यमयी X-ray सिग्नल पैटर्न को डिकोड किया है.
क्या है ब्लैक होल का रहस्यमयी खेल?
AstroSat से मिले डेटा में देखा गया कि ब्लैक होल से आने वाली एक्स-रे रोशनी कभी तेज चमकती और कभी मंद हो जाती है. यह पैटर्न कई सौ सेकंड तक चलता रहा. दिलचस्प यह कि तेज चमक वाले चरण में एक्स-रे तेजी से टिमटिमाती है, लगभग 70 बार प्रति सेकंड, जबकि मंद चरण में यह टिमटिमाहट गायब हो जाती है.
फैली हुई कोरोना
अध्ययन में पता चला कि जब एक्स-रे की चमक बढ़ती है, तब ब्लैक होल के आसपास का कोरोना छोटा और बेहद गर्म हो जाता है. लेकिन जब रोशनी मंद होती है तो यह फैलकर ठंडा पड़ जाता है, और flickering गायब हो जाती है. यह खोज साबित करती है कि ब्लैक होल के चारों ओर का कोरोना स्थायी नहीं बल्कि बदलने वाली संरचना है.
वैज्ञानिकों का क्या है मत?
IIT गुवाहाटी के प्रोफेसर संतब्रत दास के अनुसार,’हमने पहली बार तेज एक्स-रे फल्किंग (X-ray flickering) का सबूत पाया है, जो केवल चमकदार अवस्था में दिखाई देती है. यह खोज दर्शाती है कि ब्लैक होल के आसपास का कोरोना गैसों के प्रवाह के हिसाब से अपना आकार और ऊर्जा बदलता रहता है.’ ISRO के डॉ. अनुज नंदी ने कहा,’हमारे अध्ययन ने यह प्रत्यक्ष सबूत दिया है कि एक्स-रे फल्किंग (X-ray flickering) की उत्पत्ति कोरोना से जुड़ी है. यह खोज ब्लैक होल की गतिशील प्रकृति को समझने में अहम कदम है.”
ब्रह्मांड की समझ में बड़ा योगदान
इस अध्ययन से वैज्ञानिकों को ब्लैक होल के गुरुत्वाकर्षण, ऊर्जा उत्सर्जन और गैलेक्सी के विकास पर उनके प्रभाव को समझने में नई दिशा मिलेगी. यह सिर्फ ब्लैक होल की रहस्यमयी दुनिया की झलक नहीं, बल्कि यह भी दिखाता है कि ब्रह्मांड कितना गतिशील और जीवंत है.
IIT गुवाहाटी और ISRO की यह उपलब्धि न केवल भारत की अंतरिक्ष विज्ञान में बढ़ती ताकत का सबूत है, बल्कि यह पूरी मानवता को ब्रह्मांड की गहराइयों को समझने में एक नया दृष्टिकोण देती है.(फल्किंग एक्स-रे) flickering X-rays से मिला यह रहस्य हमें बताता है कि ब्लैक होल केवल निगलने वाले अंधेरे नहीं, बल्कि ब्रह्मांडीय ऊर्जा और बदलाव के स्रोत भी हैं.
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