Parliament Monsoon Session 2025 : संसद में आपराधिक आरोपों में पीएम और सीएम को हटाने वाले बिल पर विरोध होना शुरू हो गया है. वामपंथी दलों ने कहा कि नया लोकतंत्र पर सीधा हमला है.
Parliament Monsoon Session 2025 : लोकसभा में आपराधिक आरोपों में प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री को हटाने वाले विधेयक का वामपंथी दलों ने विरोध किया है. उन्होंने कहा कि नया विधेयक लोकतंत्र और संघीय ढांचे पर सीधा हमला है और हम इसका पूरी ताकत के साथ विरोध करते हैं. सरकार ने बुधवार को संसद में तीन विधेयक पेश कर दिया है, जिससे तहत गंभीर आपराधिक आरोपों में लगातार 30 दिनों तक हिरासत या गिरफ्तारी के दौरान प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के मंत्री को हटाया जा सकेगा. इस बिल का विरोध करते हुए CPI (M) के महासचिव एमए बेबी ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर लिखा कि मोदी सरकार पीएम, सीएम और मंत्रिलयों को 30 दिनों की हिरासत के बाद हटाने संबंधी विधेयक उसकी नव-फासीवादी को उजागर करते हैं.
लोकतंत्र पर सीधा हमला : माकपा
एम बेबी ने कहा कि इस बिल के माध्यम से मोदी सरकार हमारे लोकतंत्र पर सीधा हमला किया है और CPI (M) पूरी ताकत से इसका विरोध करेगी. हम सभी लोकतांत्रिक ताकतों से इस क्रूर कदम के खिलाफ एकजुट होने का आग्रह करते हैं. उन्होंने आगे कहा कि अपराध से निपटने के नाम पेश किए गए इस बिल के माध्यम से आरएसएस से नियंत्रित मोदी सरकार राज्य की निर्वाचित सरकार को कमजोर करने की मंशा को उजागर किया है. बेबी ने बताया कि SIR के साथ ये हमारे लोकतंत्र को कुचलने की एक जबरदस्त कोशिश की है. सभी लोकतांत्रिक ताकतों को इसका विरोध करना चाहिए. वहीं, माकपा के राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास ने इस विधेयकों को कठोर बताया. उन्होंने एक्स हैंडल की एक पोस्ट में लिखा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित द्वारा जनहित, कल्याण और सुशासन के नाम पर पेश किया गया नया विधेयक वास्तव में कठोर है और विपक्ष के नेतृत्व वाली राज्य सरकारों अस्थिर करने और भारत के संघीय ढांचे को कमजोर करने के लिए बनाया गया है.
विपक्षी नेताओं पर एजेंसियां तैनता की गई
जॉन ब्रिटास ने कहा कि प्रतिशोधी राजनीति के दौर में विपक्षी नेताओं के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों को तैनात किया जाता है, इन प्रावधानों का गलत मकसद से दुरुपयोग किया जाएगा. माकपा नेता ने कहा कि विधेयक में संवैधानिक नैतिकता का उल्लेख इसकी भावना के विपरित है, क्योंकि यह उस स्थापित सिद्धांत भटकता है कि अयोग्यता और सजा अदालतों द्वारा दोषसिद्धि से जुड़ी होनी चाहिए, न कि केवल आरोपों या गिरफ्तारी से. उन्होंने आगे कहा कि यह सिद्धांत जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (RPA) की धारा 8 में स्पष्ट रूप से निहित है. साथ ही घातक राजनीतिक माहौल में जहां विरोधियों पर आरोप लगाए जा सकते हैं उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है. साथ ही लंबी अवधि के लिए हिरासत में रखा जा सकता है, इस कानून का इस्तेमाल राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने और लोकतांत्रिक मानदंडों को खत्म करने के लिए किया जाएगा.
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