Saurabh Bharadwaj News : दिल्ली में सौरभ भारद्वाज के खिलाफ ED की छापेमारी पर सीएम भगवंत मान समेत AAP नेताओं ने आलोचना की है. मान ने कहा कि यह छापा इसलिए पड़ा है क्योंकि देश में मोदी जी की डिग्री की चर्चा शुरू हो गई है.
Saurabh Bharadwaj News : दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज (Saurabh Bhardwaj) पर प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई को प्रधानमंत्री मोदी के डिग्री विवाद के भटकाने के लिए की गई है. सीएम मान ने मंगलवार को AAP नेता सौरभ भारद्वाज के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) की छापेमारी की निंदा की और दावा किया कि यह पीएम मोदी की डिग्री पर हो रही चर्चा से ध्यान भटकाने के लिए किया गया है. सूत्रों के हवाले से मिली सूचना के मुताबिक, ED ने केजरीवाल सरकार के दौरान स्वास्थ्य बुनियादी ढांचा परियोजना में कथित घोटाले से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत सौरभ भारद्वाज, निजी ठेकेदारों और वाणिज्यिक रियल एस्टेट डेवलपर्स परिसरों की तलाशी ली.
सभी मामले फर्जी और झूठे
राजधानी में ईडी ने करीब 13 जगहों पर धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत छापेमारी की गई. भगवंत मान ने एक्स की एक पोस्ट में लिखा कि आज सौरभ भारद्वाज के खिलाफ छापेमारी इसलिए की गई है क्योंकि कल से पूरे देश में चर्चा चल रही है कि प्रधानमंत्री मोदी की डिग्री फर्जी है. इससे ध्यान भटकाने के लिए यह छापेमारी की गई है. मान ने कहा कि सत्येंद्र जैन को भी तीन साल के लिए जेल में रखा गया है और बाद में सीबीआई और ईडी ने अदालत में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी. उन्होंने कहा कि इन सबसे एक पता चलती है कि आम आदमी पार्टी के नेताओं के खिलाफ दर्ज सभी मामले फर्जी और झूठे हैं.
AAP नेताओं के खिलाफ लगे केस फर्जी
बता दें कि सौरभ भारद्वाज के खिलाफ ईडी की जांच जून में दिल्ली की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (ACB) द्वारा दर्ज की गई एक प्राथमिकी पर आधारित है. AAP की पंजाब इकाई के अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा ने भी भारद्वाज के खिलाफ जांच एजेंसी की आलोचना की है. अरोड़ा ने कहा कि जब भी पीएम मोदी पर सवाल उठते हैं तो ED नेताओं के पीछे लग जाती है. आज सौरभ के खिलाफ छापेमारी इसलिए की गई है क्योंकि देश मोदी जी की डिग्री पर चर्चा कर रहा है. उन्होंने कहा कि सच बात तो यह है कि यह मामला उस वक्त का है जब सौरभ भारद्वाज मंत्री थे ही नहीं. यह पूरा मामला मनगंढ़त रचा गया है, ठीक सत्येंद्र जैन के मामले की तरह जहां उन्हें तीन साल जेल में रखने के बाद एजेंसियों को अदालत में क्लोजर रिपोर्ट पेश करनी पड़ी. इससे यह बात भी साबित हो गई है AAP नेताओं के खिलाफ जितने भी केस दर्ज किए गए हैं वह पूरी तरह से फर्जी हैं.
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