Bike boat Scam: इस कथित धोखाधड़ी योजना के तहत कोई ग्राहक 1, 3, 5 या 7 बाइक में निवेश कर सकता था, जिसका रखरखाव और संचालन कंपनी द्वारा किया जाएगा.
Bike boat Scam: प्रवर्तन निदेशालय (ED ने रविवार को कहा कि उत्तर प्रदेश में सामने आए ‘बाइक बोट’ पोंजी घोटाले में धन शोधन निरोधक कानून के तहत 394 करोड़ रुपये से अधिक की नई संपत्तियां कुर्क की गई हैं. ये संपत्तियां कामाख्या एजुकेशनल एंड सोशल वेलफेयर ट्रस्ट, कामाख्या एजुकेशनल सोसाइटी, गुरु नानक चैरिटेबल ट्रस्ट, अल्पाइन टेक्निकल एजुकेशन सोसाइटी, एपी गोयल चैरिटेबल ट्रस्ट और मीना आनंद नामक एक व्यक्ति के नाम पर हैं. संघीय जांच एजेंसी ने एक बयान में कहा कि वर्तमान कुर्की में 20.49 करोड़ रुपये मूल्य की अचल संपत्तियां और जारी की गई गिरवी रखी गई जमीन (जिसका मूल्य अपराध के समय 389.30 करोड़ रुपये था) तथा कुल 5.12 करोड़ रुपये की सावधि जमा शामिल हैं. धन शोधन का यह मामला उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा कुछ निवेशकों द्वारा गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड (जीआईपीएल), संजय भाटी और अन्य द्वारा कथित रूप से किये गए ‘बाइकबोट’ धोखाधड़ी के खिलाफ की गई शिकायतों के आधार पर दर्ज की गई कई प्राथमिकियों से उपजा है.
आकर्षक निवेश योजना से लोगों को फंसाया
बाइकबोट पोंजी स्कीम से जुड़ी कंपनी जीआईपीएल (GIPL) और उसके प्रमोटर संजय भाटी ने अन्य लोगों के साथ मिलकर ‘बाइकबोट’ नाम से एक ‘बाइक टैक्सी’ की आड़ में एक “बेहद आकर्षक” निवेश योजना पेश की थी. ED के अनुसार, इस कथित धोखाधड़ी योजना के तहत कोई ग्राहक 1, 3, 5 या 7 बाइक में निवेश कर सकता था, जिसका रखरखाव और संचालन कंपनी द्वारा किया जाएगा. निवेशक को मासिक किराया, ईएमआई और बोनस (एक से अधिक बाइक में निवेश करने पर) दिया जाएगा, साथ ही बाइनरी/मल्टी-लेवल मार्केटिंग (एमएलएम) संरचना में अतिरिक्त निवेशकों को जोड़ने पर प्रोत्साहन भी दिया जाएगा. कंपनी ने विभिन्न शहरों में फ्रैंचाइज़ी भी आवंटित कीं, लेकिन इन शहरों में बाइक टैक्सी का संचालन शायद ही हुआ.
पीड़ितों में जगी न्याय की उम्मीद
जांच में पाया गया कि ‘बाइकबोट’ “घोटाले” में जुटाए गए धन को विभिन्न संबंधित कंपनियों में “डायवर्ट” किया गया और बाद में शैक्षिक ट्रस्टों, सोसाइटियों और व्यक्तियों के माध्यम से स्तरीकृत किया गया. ईडी ने कहा कि इन डायवर्ट किए गए धन का उपयोग मेरठ में अचल संपत्तियां खरीदने और बैंकों से पहले से गिरवी रखी गई संपत्तियों को छुड़ाने के लिए किया गया था. संघीय जांच एजेंसी ने इस मामले में 2020 और 2023 में तलाशी ली थी. इस मामले में 220.78 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की गई थी. संघीय जांच एजेंसी (ED) ने अब तक कुल 27 आरोपी संस्थाओं के खिलाफ चार आरोपपत्र दायर किए हैं. घोटाले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अपनी जांच तेज कर दी है. प्रवर्तन निदेशालय की जांच से पीड़ितों में न्याय की उम्मीद जगी है.
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