Vishwa Hindu Parishad : सीजेआई गवई की टिप्पणी पर सोशल मीडिया पर बहस शुरू हो गई. इस विवाद में VHP की भी एंट्री हो गई है और उसने कहा कि कोर्ट में न्यायाधीश को ऐसी टिप्पणियों से बचना चाहिए.
Vishwa Hindu Parishad : विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने गुरुवार को खजुराहों में भगवान विष्णु की मूर्ति की पुनर्स्थापना की मांग वाली याचिका पर भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई (CJI BR Gavai) की टिप्पणी की आलोचना की. VHP ने कहा कि सीजेआई के लिए बेहतर होगा कि हिंदू धर्म की मान्यताओं का मजाक उड़ाने से बचना चाहिए. वीएचपी की यह आलोचना उस वक्त सामने आई है जब CJI गवई की अध्यक्षता वाली पीठ की तरफ से इस याचिका को ‘प्रचार हित याचिका’ करार देते हुए खारिज किए जाने के बाद सामने आई है. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि यह पूरी तरह से प्रचार हित की याचिका है, जाकर भगवान विष्णु से ही कुछ करने के लिए कहिए.
प्रार्थना और ध्यान करिए : CJI
सीजेआई ने याचिकाकर्ता से कहा कि अगर आप कह रहे हैं आप भगवान विष्णु के प्रबल भक्त हैं तो प्रार्थना और ध्यान भी करिए. इसके बाद मुख्य न्यायाधीश की टिप्पणी पर विश्व हिंदू परिषद (VHP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि हमें लगता है कि मुख्य न्यायाधीश की मौखिक टिप्पणी ने हिंदू मान्यताओं का मजाक उड़ाया है और ऐसी टिप्पणियों से बचना ही बेहतर होगा. उन्होंने कहा कि अदालतें न्याय के मंदिर हैं जिन पर भारतीय समाज की आस्था और विश्वास है. उन्होंने कहा कि यह हमारा कर्तव्य है कि यह विश्वास न केवल बरकरार रहे, बल्कि और भी मजबूत हो. उन्होंने आगे कहा कि अपनी टिप्पणियों में खासकर अदालत के अंदर संयम बरतना भी हमारा कर्तव्य है.
ऑनलाइन आलोचना के बाद दिया जवाब
वीएचपी प्रवक्ता ने कहा कि यह जिम्मेदारी वादियों, वकीलों और समान रूप से न्यायाधीशों की भी है. इसी बीच मुख्य न्यायाधीश गवई ने गुरुवार को अपनी टिप्पणी की ऑनलाइन आलोचना होने के बाद उन्होंने कहा कि वह सभी धर्मों का बराबर सम्मान करते हैं. उन्होंने कहा कि किसी ने मुझे बताया कि मेरे द्वारा की गई टिप्पणियों को सोशल मीडिया पर पेश किया गया है. मैं उसके लिए सिर्फ यही कहूंगा कि सभी धर्मों का सम्मान करता हूं. राकेश दलाल ने अपनी याचिका में एमपी के छतरपुर जिले के जवारी मंदिर में क्षतिग्रस्त मूर्ति को बदलने और उसकी एक बार फिर प्राण प्रतिष्ठा करने के लिए याचिका दायर की थी. आपको बताते चलें कि यह मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर खुजराओ मंदिर के परिसर का हिस्सा है. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने स्पष्ट किया कि यह पूरा मामला पुरातात्विक खोज है और इसके लिए ASI अनुमति देगा या नहीं यह उस पर निर्भर करता है.
यह भी पढ़ें- आजम खान का जेल से बाहर आने का रास्ता हुआ साफ! जमीन मामले में हाईकोर्ट ने दी जमीनत
