Bihar Election: बूथों पर महिला मतदान अधिकारियों या परिचारिकाओं की उपस्थिति में उनकी पहचान के लिए विशेष व्यवस्था की जाएगी, साथ ही उनकी गोपनीयता भी सुनिश्चित की जाएगी.
Bihar Election: चुनाव आयोग ने शुक्रवार को कहा कि बिहार में बुर्का या पर्दा पहने महिला मतदाताओं की पहचान के लिए मतदान केंद्रों पर विशेष व्यवस्था की जाएगी. एक बयान में, चुनाव आयोग ने कहा कि बुर्का या पर्दा पहने महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए उनके निर्देशों के अनुसार, मतदान केंद्रों पर महिला मतदान अधिकारियों या परिचारिकाओं की उपस्थिति में उनकी पहचान के लिए विशेष व्यवस्था की जाएगी, साथ ही उनकी गोपनीयता भी सुनिश्चित की जाएगी. बिहार चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा करने के लिए सोमवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा था कि बुर्का पहने मतदाताओं की पहचान सत्यापित करने में मदद के लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ता बिहार के सभी मतदान केंद्रों पर मौजूद रहेंगी.
नहीं उजागर होगी गोपनीयता
एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान ‘घूंघट’ और बुर्का पहने महिलाओं के बारे में एक सवाल का जवाब देते हुए कुमार ने कहा कि मतदान केंद्रों के अंदर पहचान के सत्यापन के बारे में चुनाव आयोग के स्पष्ट दिशानिर्देश हैं और उसका सख्ती से पालन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि बुर्का पहने महिलाओं की पहचान सत्यापित करने के लिए हमारे आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को सभी मतदान केंद्रों पर तैनात किया जाएगा. आयोग के दिशानिर्देश इस बारे में बहुत स्पष्ट हैं कि मतदान केंद्र के अंदर पहचान कैसे सत्यापित की जाती है और उसका सख्ती से पालन किया जाएगा. गुरुवार को चुनाव प्राधिकरण ने कहा था कि 90,712 आंगनवाड़ी सेविकाओं को चुनाव ड्यूटी पर तैनात किया जाएगा. बिहार भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने पिछले शनिवार को आयोग से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया था मतदान दो चरणों में 6 और 11 नवंबर को होगा.
हर प्रत्याशी दें पोलिंग एजेंट
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि जो प्रत्याशी खड़े हों, वह पोलिंग एजेंट्स जरूर दें. मॉक पोल अपनी आंखों के सामने जरूर देखने कहें. मतदान के खत्म होते समय पोलिंग एजेंट्स फॉर्म 17सी भी ले लें. जिन लोगों को नगर निगम ने मकान का कोई नंबर तय नहीं किया है, वहां एक ही मकान में कई लोगों के नंबर मतदाता सूची में दर्ज होने की आशंका रहती है. क्योंकि, कुछ चिह्नित करने के लिए बीएलओ यह करते हैं. चुनाव के पहले पुनरीक्षण हर बार होता है, इसलिए उसे चुनाव के बाद कराने की मांग का कोई अर्थ नहीं है. बिहार के एसआईआर में दावा-आपत्ति का पूरा अवसर दिया गया. कहा कि इस प्रक्रिया की देखरेख के लिए सभी राजनीतिक दलों ने अपने बूथ लेवल एजेंट्स दिए थे. एसआईआर में अब भी समय है कि किसी व्यक्ति या राजनीतिक दल को ऐसा लगता है कि योग्य मतदाता छूट गया है या अयोग्य मतदाता का नाम सूची में है तो वह दावा-आपत्ति कर सकता है. उनके दावे-आपत्ति का निपटारा ईआरओ स्तर से हो जाएगा.
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