Home राज्यMadhya Pradesh सामाजिक प्रगति के लिए हो जाति जनगणना, केवल वोट बैंक के लिए नहीं, एकता और सद्भाव जरूरी

सामाजिक प्रगति के लिए हो जाति जनगणना, केवल वोट बैंक के लिए नहीं, एकता और सद्भाव जरूरी

by Sanjay Kumar Srivastava
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Dattatreya Hosabale

RSS meeting in Jabalpur: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने शनिवार को कहा कि संगठन जाति आधारित जनगणना का विरोधी नहीं है, लेकिन यह राजनीति से प्रेरित नहीं होनी चाहिए.

RSS meeting in Jabalpur: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने शनिवार को कहा कि संगठन जाति आधारित जनगणना का विरोधी नहीं है, लेकिन यह राजनीति से प्रेरित नहीं होनी चाहिए. इसका उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े समुदायों की पहचान कर उनकी प्रगति सुनिश्चित करना होना चाहिए. मध्य प्रदेश के जबलपुर में RSS की तीन दिवसीय अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक के समापन पर शनिवार को पत्रकारों से बात करते हुए होसबोले ने कहा कि लोग अक्सर जाति या पैसे के आधार पर वोट देते हैं और ऐसी प्रथाओं को समाप्त करने के लिए जागरूकता की आवश्यकता है. आरएसएस नेता ने कहा कि चुनावों के दौरान जाति-आधारित टिप्पणियां केवल वोट हासिल करने के लिए की जाती हैं. देश की प्रगति के लिए एकता और सद्भाव आवश्यक है. जाति का अहंकार सामाजिक कलह पैदा कर रहा है. हिंदू समाज में आध्यात्मिक संगठनों के अलावा कई जातियां और संप्रदाय हैं. समाज में आत्मविश्वास को मजबूत करने के लिए सामाजिक सद्भावना की भावना बढ़नी चाहिए.

नशीले पदार्थों के प्रसार पर जताई चिंता

जाति गणना पर एक सवाल के जवाब में होसबोले ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही कह चुका है कि यदि आवश्यक हो तो यह किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि ऐसा डेटा कल्याणकारी योजनाओं के लिए उपयोगी है. इसका इस्तेमाल राजनीतिक उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि इससे समाज विभाजित होगा. कुछ जातियां पिछड़ी रह गई हैं और उन्हें सशक्त बनाने की आवश्यकता है. अगर सरकारी योजनाओं का लाभ उन तक पहुंचाने के लिए डेटा की आवश्यकता है, तो इसे एकत्र किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि आरएसएस जाति के आधार पर काम नहीं करता है, लेकिन जहां भी डेटा देश के लिए उपयोगी है, उसे एकत्र किया जाना चाहिए. उन्होंने नशीले पदार्थों के प्रसार पर भी चिंता जताई और कहा कि आईआईएम जैसे संस्थानों और स्कूलों के पास भी नशीले पदार्थ बेचे जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि युवाओं की सुरक्षा के लिए प्रशासनिक, धार्मिक और सामाजिक स्तर पर प्रयास ज़रूरी हैं.

जागरूकता से रोका जा सकता है धर्मांतरण

उन्होंने कहा कि संगठन के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में पर्यावरण, हिंदुत्व का विस्तार, परिवार जागरूकता, सामाजिक समरसता और सामाजिक मुद्दों जैसे विषयों पर देश भर में लगभग 80,000 हिंदू सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि स्वयंसेवक इस वर्ष घर-घर जाकर संपर्क अभियान भी चलाएंगे. उन्होंने कहा कि सेवा के नाम पर धर्मांतरण चिंता का विषय है और वनवासी कल्याण आश्रम तथा विश्व हिंदू परिषद जैसे संगठन इसे रोकने के लिए काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि पंजाब में सिखों में धर्मांतरण भी बढ़ रहा है, जिसे जागरूकता और समन्वय के ज़रिए रोका जा सकता है, जिससे घर वापसी (दूसरे धर्मों को अपनाने वालों का हिंदू धर्म में वापस आना) सुनिश्चित हो सके. उन्होंने कहा कि घुसपैठ, धर्मांतरण और एक ही समुदाय का वर्चस्व लोकतंत्र को अस्थिर करने वाले तीन मुख्य कारक हैं. उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण कानून की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि सिर्फ़ क़ानून बनाकर लिव-इन रिलेशनशिप पर लगाम नहीं लगाई जा सकती। होसबोले ने कहा कि इसके लिए सामाजिक चेतना और जागरूकता की आवश्यकता है.

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