Doodh Soda Drink: रणवीर सिंह और अक्षय खन्ना स्टारर फिल्म ‘धुरंधर’ में दूध सोडा वाला एक सीन है, जिसने चुपचाप ही सही लेकिन काफी लाइमलाइट लूटी है.
23 December, 2025
Doodh Soda Drink: रणवीर सिंह स्टारर फिल्म ‘धुरंधर’ ने सिर्फ बॉर्डर पार नहीं किया, बल्कि ये एक कल्चर डिस्कशन का हिस्सा भी बन चुकी है. अक्षय खन्ना का वायरल डांस हो या बहरीन के रैपर फ्लिप्पेराची के गाने FA9LA पर बनी रील्स, आदित्य धर के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म ने हर मोर्चे पर ऑडियन्स का ध्यान खींचा. लेकिन इन सबके बीच एक और चीज़ है जो चुपचाप फिल्म की पहचान बन गई और वो है, दूध सोडा.

दूध सोडा की चर्चा
‘धुरंधर’ में दूध सोडा वाला सीन कहानी का एक अहम मोड़ है. इसी सीन में एंट्री होती है एक्टर गौरव गेरा की. वो कराची के लियारी इलाके के मेन बाजार में मोहम्मद आलम नाम के एक जूस बेचने वाले का रोल करते है. देखने में ये एक आम सा ठेला लगता है, लेकिन असल में यही दुकान एक बड़ा राज छुपाए हुए है. दरअसल, मोहम्मद आलम एक भारतीय जासूस है, जो सालों से पाकिस्तान में रहकर सीक्रेट मिशनों को अंजाम दे रहा है. फिर यही दूध सोडा की दुकान रणवीर सिंह के किरदार हम्ज़ा अली मज़ारी के लिए सीक्रेट मीटिंग पॉइंट बनती है. इसी खुले बाजार में, आम लोगों के बीच, दोनों इनफॉर्मेशन इधर से उधर करते हैं.

पुराना फूड कल्चर
गौरव गेरा का मज़ेदार डायलॉग- ‘डार्लिंग, डार्लिंग, दिल क्यों तोड़ा… पीलो पीलो, आलम सोडा’, इस सीन को और यादगार बना देता है. ये छोटा सा सीन साबित करता है कि कई बार सबसे सिंपल जगहों में ही सबसे बड़े राज छुपे होते हैं. खैर, ‘धुरंधर’ फिल्म ने भले ही दूध सोडा को फिर से चर्चा में ला दिया हो, लेकिन ये ड्रिंक भारत के फूड कल्चर का पुराना हिस्सा रहा है. दूध सोडा, नाम से ही साफ है, दूध और नींबू-लाइम सोडा का मिक्स. सुनने में भले अजीब लगे, लेकिन गर्म और उमस भरे मौसम में ये ड्रिंक बहुत ताज़गी देती है. इसका स्वाद पूरी तरह बैलेंस पर ड़िपेंड करता है. ज्यादा सोडा डालने पर दूध फट सकता है और कम सोडा होने पर स्वाद हैवी लग सकता है. यानी सही रेशियो में बना दूध सोडा लाइट, फिज़ी और पेट के लिए अच्छा माना जाता है.
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प्री-पार्टिशन का इतिहास
वैसे, क्या आप जानते हैं कि दूध सोडा आज़ादी से भी पुराना ड्रिंक है? दरअसल, बंटवारे से पहले के भारत, खासकर पंजाब में, सड़क किनारे दूध सोडा खूब पिया जाता था. उस दौर में डेयरी प्रोडक्ट्स आसानी से मिल जाते थे और सोडा फाउंटेन का ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा था. लोकल हकीम और दुकानदार गुलाब सोडा, खस सोडा और नींबू सोडा जैसे प्रयोग करते-करते दूध सोडा तक पहुंच गए. हालांकि, इसकी जड़ें विक्टोरियन इंग्लैंड तक जाती हैं, जहां सबसे पहले दूध और सोडा को मिलाने का एक्सपेरिमेंट हुआ था. ब्रिटिश राज के साथ ये ड्रिंक भारत पहुंची और यहां की संस्कृति में रच-बस गई.

कराची से लाहौर
1947 के बाद पाकिस्तान में दूध सोडा रमज़ान के इफ्तार का अहम हिस्सा बन गया. इसमें कई बार रूह अफज़ा भी मिलाया जाता है. वहीं, भारत में ये पंजाब, पुरानी दिल्ली और अमृतसर जैसे इलाकों में आज भी पसंद किया जाता है. कराची और लाहौर में भी इसकी पॉपुलैरिटी कायम है. यानी कहा जा सकता है कि ‘धुरंधर’ ने दूध सोडा को सिर्फ एक ड्रिंक नहीं, बल्कि एक पॉप कल्चर सिंबल बना दिया है. ये दिखाता है कि कैसे फिल्में हमारी रोज़मर्रा की चीज़ों को नई पहचान दे सकती हैं.
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