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Neurodegenerative Disease: क्या है न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारी, जिससे जूझ रहे हैं ओलंपियन लिंबा राम

by Preeti Pal
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Neurodegenerative Disease: क्या है न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारी, जिससे जूझ रहे हैं ओलंपियन लिंबा राम

Neurodegenerative Disease: 3 बार के ओलंपियन और भारतीय तीरंदाजी के दिग्गज खिलाड़ी लिंबा राम फिलहाल आर्थिक दिक्कतों के साथ-साथ न्यूरोडीजेनेरेटिव नामक बीमारी से भी जूझ रहे हैं.

16 May, 2024

Neurodegenerative Disease: भारतीय तीरंदाजी के दिग्गज और तीन बार के ओलंपियन लिंबा राम वर्तमान में न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग से जूझ रहे हैं. आर्थिक दिक्कतों से जूझ रहे लिंबाराम को इसके चलते कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इस रोग के चलते उन्हें सांस लेने में दिक्कत आ रही है. न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारी तब होती है जब मस्तिष्क या परिधीय तंत्रिका तंत्र में तंत्रिका कोशिकाएं बढ़ती उम्र के साथ काम करना बंद कर देती हैं और आखिरकार मृत प्राय या फिर मर जाती हैं.

गुमनामी में जी रहे ओलंपियन लिंबा राम

भारतीय तीरंदाजी के दिग्गज और तीन बार के ओलंपियन लिंबा राम ने तीरंदाजी में करियर बनाने के लिए तमाम कठिनाइयों का सामना किया था और अब गुमनामी में जीवन जीने के लिए मजबूर हैं. पद्मश्री से सम्मानित नादिया की कृष्णानगर नतुन कालीपुर सांस्कृतिक और कल्याण समिति इस भारतीय तीरंदाजी लिंबाराम की मदद के लिए आगे आई है.

सांस लेने में हो रही दिक्कत

यहां पर बता दें कि राजस्थान के आदिवासी इलाके से आने वाले और पांच भाई-बहनों वाले लिंबा राम ने तीरंदाजी में भारत का नाम देश-दुनिया में रोशन किया. इन दिनों वह न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारी से जूझ रहे हैं, जिससे उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही है. हैरत और दुख की बात यह है कि देश को इतना गौरव दिलाने के बाद अब कोई भी उनकी सुध लेने को तैयार नहीं है.

राजस्थान सरकार से भी नहीं मिली कोई मदद

लिम्बा राम (पूर्व भारतीय तीरंदाज) का कहना है कि हम ये विश्वास करते हैं कि आगे चलकर थोड़ा अच्छा होगा. कुछ खिलाड़ी तंगी में रहते हैं जिनको स्वर्ण नहीं मिलता है. वहीं, बताया जा रहा है कि राजस्थान सरकार की तरफ से भी उन्हें कोई मदद नहीं मिल रही है. नादिया स्थित कृष्णानगर नतुन कालीपुर सांस्कृतिक और कल्याण सोसायटी, लिंबा राम के इलाज का खर्चा देने के लिए सामने आई है.

अर्जुन अवॉर्ड भी मिल चुका है लिंबा राम को

इस बाबत प्रेमासिस भट्टाचार्जी (अध्यक्ष, कृष्णानगर नतुन कालीपुर सांस्कृतिक एवं कल्याण सोसायटी) का कहना है कि मेंटल सपोर्ट तो पहली बात है. उसके बाद डॉक्टर उन्हें जो मेडिसिन लिखेंगे, हम लोग उसी हिसाब से आगे चलेंगे. गौरतलब है कि तीरंदाजी में लिंबाराम की उपलब्धियों के लिए उन्हें 1991 में अर्जुन पुरस्कार और 2012 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.

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