IIT Roorkee: IIT रूड़की की रिसर्च टीम ने ऐसे मॉलिक्यूल की खोज की है, जिससे यूरिन इनफेक्शन के इलाज में बड़ा बदलाव हो सकता है.
23 June, 2024
IIT Roorkee: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान यानी IIT रूड़की के रिसर्च स्टूडेंट्स ने एक ऐसे स्मॉल मॉलिक्यूल की खोज की है जो एंटीबायोटिक रजिस्टेंस के खिलाफ महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. टीम का खोजा हुआ मॉलिक्यूल यूरिन इनफेक्शन के इलाज का पूरा पैटर्न बदल सकता है.
यूरिन इन्फेक्शन के इलाज में बड़ी भूमिका
IIT रूड़की की प्रमुख शोधकर्ता प्रो. रंजना पठानिया ने बताया कि, ‘हमने एक ऐसा मॉलिक्यूल डिस्कवर किया, जो कि इफ्लिक्स पंप को ब्लॉक करता है. फिर हमने ये देखा कि उसका मॉलिक्यूलर मैकेनिज्म क्या है. वो स्मॉल मॉलिक्यूल क्या करता है,’
प्रोफेसर रंजना ने ये भी बताया कि ये मॉलिक्यूल PH ग्रेडिएंट को डिस्टर्ब करता है. इसकी वजह से इफ्लिक्स पंप ब्लॉक हो जाता है. अब इस इफ्लिक्स पंप से बायोफिल्म्स भी बाहर जाती है.
उन्होंने कहा कि, ‘इफ्लिक्स पंप ब्लॉक अगर हो गया तो ये बायोफिल्म्स भी नहीं बना पाता. हमने देखा कि इस स्मॉल मॉलिक्यूल की प्रेजेंस में फॉस्फोमाइसिन का इफेक्टिव कॉन्सन्ट्रेशन सेल के अंदर बिल्ड-अप हो जाता है. इसके बाद वो अपने टारगेट तक पहुंचकर बैक्टीरिया को कील करता है.’
कितने साल लगे रिसर्च में?
ये रिसर्च प्रोफेसर रंजना पठानिया के नेतृत्व चल रहा था. टीम से जुड़े छात्र अमित गौरव ने बताया, ‘इस रिसर्च में लगभग 4 से 5 साल का वक्त लगा है. इसमें पाया जाने वाला नया अणु यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन में उपयोग किया जा सकता है. यह अणु फॉस्फोमाइसिन एंटीबायोटिक्स के इफेक्ट को बढ़ाता है. इसमें पाया जाने वाला एसिनेटोबैक्टर बाउमानी एक महत्वपूर्ण बैक्टीरियल पैथोजेन है जो यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन का कारण है.’
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक एंटीबायोटिक रजिस्टेंस दुनिया की सबसे बड़ी चिंताओं में से एक है. एक अनुमान के मुताबिक 2050 तक दुनिया भर में करोड़ों लोग इसका शिकार हो सकते हैं.
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