Home Top News Allahabad High Court: जज शेखर यादव की बढ़ी मुश्किलें, महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी

Allahabad High Court: जज शेखर यादव की बढ़ी मुश्किलें, महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी

by Live Times
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Allahabad High Court: इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज शेखर यादव के लिए मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है. मुसलमानों को लेकर दिए बयान पर सुप्रीम कोर्ट ने पूरा ब्योरा मांगा है.

Allahabad High Court: इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज शेखर यादव के लिए मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है. मुसलमानों को लेकर दिए बयान पर सुप्रीम कोर्ट ने पूरा ब्योरा मांगा है.

Allahabad High Court: इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज शेखर यादव के मुसलमानों पर दिए बयान के बाद सियासत गर्मा उठी है. अल्पसंख्यक वर्ग के नेताओं के साथ सभी विपक्षी दल उनके खिलाफ संसद महाभियोग लाने की तैयारी कर रहे हैं. इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी पूरा ब्योरा मांगा है. जज शेखर यादव ने विशेष समाज को लेकर अपमानजनक टिप्पणी दी थी. उन्होंने कहा था कि ‘बहुसंख्यक’ की इच्छा के मुताबिक काम करेगा और उन्होंने कट्टर मौलवियों के लिए एक शब्द का इस्तेमाल किया, जिसे कई लोग अपमानजनक मानते हैं. उनके बयानों के असंवैधानिक होने और अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ टार्गेट होने के विरोध के बीच, सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट से रिपोर्ट भी मांगी.

कपिल सिब्बल ने मांगा साथ

इस मुद्दे को लेकर राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कहा कि वीएचपी के एक समारोह में विवादास्पद टिप्पणी करने वाले इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज शेखर यादव ने “घृणास्पद भाषण” देकर अपने पद की शपथ का उल्लंघन किया है. उन्होंने आगे कहा कि वह अन्य विपक्षी सांसदों के साथ महाभियोग का प्रस्ताव लेकर आएंगे. कपिल सिब्बल ने कहा कि जो भी न्यायाधीश ऐसा बयान देता है वह अपने पद की शपथ का उल्लंघन कर रहा है. यदि वह पद की शपथ का उल्लंघन कर रहे हैं तो उन्हें उस कुर्सी पर बैठने का कोई अधिकार नहीं है.

ओवैसी ने भी दिया साथ

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इस मुद्दे को लेकर सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट किया है. उस पोस्ट में उन्होंने लिखा कि मैंने इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज शेखर यादव के खिलाफ निष्कासन की कार्यवाही की मांग करने वाले नोटिस पर साइन किया है. रूहुल्लाह मेहदी ने ये शुरू किया है. जज का व्यवहार संवैधानिक नॉर्म्स के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट के “Restatement of Values of Judicial Life” का भी उलंघन करता है. नोटिस को लोकसभा में लाने के लिए 100 अन्य हस्ताक्षर की जरूरत है.

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