Adani Block Deal: AWL अब एक नया चैप्टर शुरू कर रही है. अब इस कंपनी की दिशा ज्यादा ग्लोबल और बेहतर होती दिख रही है. आप भी जानें पूरी खबर.
21 November, 2025
Adani Block Deal: अदानी ग्रुप ने आखिरकार Adani Wilmar Ltd (AWL) से अपनी पूरी हिस्सेदारी बेच दी है. ग्रुप ने अपने बचे हुए 7 प्रतिशत शेयर एक ब्लॉक डील के जरिए बेच दिए, जिसे घरेलू और इंटरनेशनल इंस्टीट्यूशन इन्वेस्टर्स से जबरदस्त रिएक्शन मिला. इस डील के बाद अब सिंगापुर की विलमार इंटरनेशनल (Wilmar International) कंपनी की अकेली प्रमोटर बन गई है, जिसके पास लगभग 57 प्रतिशत होल्डिंग रहेगी. ये डील कंपनी के लिए एक बड़े ढांचे के बदलाव का सिग्नल है, जो आगे चलकर AWL के इन्वेस्टर्स को अट्रैक्ट कर सकती है.
किन-किन ने खरीदे शेयर?
इस ब्लॉक डील में कई डोमेस्टिक म्यूचुअल फंड हाउस आगे आए. इसमें Vanguard, Charles Schwab, ICICI Prudential MF, SBI MF, Tata MF, Quant MF और Bandhan MF जैसे बड़े नाम शामिल रहे. इसके अलावा, सिंगापुर, यूएई और एशिया के बाकी देशों से भी इन्वेस्टर्स ने दिलचस्पी दिखाई. मार्केट सूत्रों के मुताबिक, AWL के लंबे टाइम से जुड़े पार्टनर जैसे GIC भी आगे चलकर अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की तैयारी में हैं.
अदानी की नई शुरुआत
अदानी ग्रुप ने इस हफ्ते की शुरुआत में ही 13 प्रतिशत हिस्सेदारी बेची थी, जिससे उनकी पार्टनरशिप घटकर 7 प्रतिशत रह गई थी. अब ये आखिरी 7 प्रतिशत ब्लॉक भी 275 रुपये प्रति शेयर के भाव पर बिक गया. इसके साथ ही अदानी इंटरप्राइजेज (Adani Enterprises) को कुल 15,707 करोड़ रुपये मिले और कंपनी ने AWL में अपनी 44 प्रतिशत हिस्सेदारी से पूरी तरह बाहर निकलने का प्रोसेस पूरा कर लिया. इस एग्ज़िट के बाद AWL अब पूरी तरह एक मल्टीनेशनल प्रोफाइल वाली कंपनी बन गई है, जिसकी कमान विलमार इंटरनेशनल के हाथों होगी.
AWL का बिजनेस
AWL देश में फॉर्च्यून ब्रांड के लिए जानी जाती है, जो इंडिया का सबसे बड़ा खाने के तेल का फ्रैंचाइज़ है. इसके अलावा कंपनी आटा, चावल, दालें और रेडी-टू-कुक प्रोडक्ट्स जैसे फूड स्टेपल्स के बड़े नेटवर्क में काम करती है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि कंपनी का बिजनेस फंडामेंटल अभी भी मजबूत है. विलमार की ग्लोबल सोर्सिंग और AWL की इंडियन मार्केट में अच्छी पकड़ इसका बड़ा बेस है.
शेयर पर असर
हालांकि कंपनी की बेसिक पोजिशन अच्छी है, लेकिन पिछले कुछ समय से शेयर प्राइस 2022 के IPO लेवल के पास पहुंच गया है. इसकी सबसे बड़ी वजह रही स्टेक सेल से जुड़ी अनिश्चितता और कमोडिटी मार्केट में उतार-चढ़ाव. अब जब अदानी ग्रुप का ओवरहैंग पूरी तरह हट चुका है, तब एक्सपर्ट्स को उम्मीद है कि स्टॉक में तकनीकी रिकवरी और वैल्यूएशन रेटिंग में सुधार देखने को मिल सकता है. यानी कहा जा सकता है कि अदानी ग्रुप के बाहर निकलने के बाद AWL अब एक MNC कंट्रोल्ड कंपनी बन चुकी है. ऐसे में ग्लोबल कैपिटल फ्लो और विलमार इंटरनेशनल की स्ट्रेटजी इसे आगे का शेप देगी.
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