सीबीएसई ने स्कूलों को शौचालयों के अलावा अन्य सभी स्थानों पर रीयल-टाइम ऑडियो-विजुअल रिकॉर्डिंग वाले सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश दिया है.
CBSE यानी कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंड्री एजुकेशन ने अपने कुछ मानदंडों में बदलाव करते हुए स्कूलों को शौचालयों के अलावा अन्य सभी स्थानों पर रीयल-टाइम ऑडियो-विजुअल रिकॉर्डिंग वाले सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश दिया है, एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी. अधिकारी ने कहा, “छात्रों की सुरक्षा स्कूल की सर्वोच्च जिम्मेदारियों में से एक है और यह सुनिश्चित करना है कि छात्रों को स्कूल में एक सुरक्षित और सामंजस्यपूर्ण वातावरण मिले. सुरक्षा के दो पहलू हैं- पहला है कि शरारती असामाजिक तत्वों से सुरक्षा और दूसरा है बदमाशी और अन्य अंतर्निहित खतरों के संदर्भ में बच्चों की समग्र भलाई के लिए सुरक्षा.”
क्या बोले CBSE सचिव?
सीबीएसई सचिव हिमांशु गुप्ता ने कहा, “सतर्क और संवेदनशील कर्मचारियों और नवीनतम तकनीक के उपयोग से ऐसी सभी संभावनाओं को रोका जा सकता है.” स्कूल परिसर में छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, बोर्ड ने उपनियम-2018 के अध्याय 4 (भौतिक अवसंरचना) में सीसीटीवी लगाने के बारे में एक खंड शामिल करके संशोधन किया है. उन्होंने कहा, “स्कूल को स्कूल के सभी प्रवेश और निकास बिंदुओं, लॉबी, गलियारों, सीढ़ियों, सभी कक्षाओं, प्रयोगशालाओं, पुस्तकालय, कैंटीन क्षेत्र, स्टोर रूम, खेल के मैदान और शौचालयों को छोड़कर अन्य सामान्य क्षेत्रों में ऑडियो-विजुअल सुविधा के साथ हाई रैजोल्यूशन वाले सीसीटीवी कैमरे लगाने चाहिए. वास्तविक समय में दृश्य-श्रव्य रिकॉर्डिंग वाले शौचालय.” हिमांशु गुप्ता ने आगे कहा, “इन सीसीटीवी कैमरों में कम से कम 15 दिनों की फुटेज रखने की क्षमता वाला एक स्टोरेज डिवाइस होना चाहिए. यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि कम से कम 15 दिनों का बैकअप सुरक्षित रखा जाए, जिसे आवश्यकता पड़ने पर अधिकारी देख सकें.”
क्यों लिया गया फैसला?
एनसीपीसीआर के स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा और संरक्षा संबंधी मैनुअल के अनुसार, “स्कूल सुरक्षा” को बच्चों के लिए उनके घर से लेकर उनके स्कूल और वापस आने तक एक सुरक्षित वातावरण बनाने के रूप में परिभाषित किया गया है. इसमें किसी भी प्रकार के दुर्व्यवहार, हिंसा, मनो-सामाजिक समस्या, प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदा, आग, परिवहन से सुरक्षा शामिल है. भावनात्मक सुरक्षा विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि शिक्षकों और अभिभावकों के लिए बच्चों में भावनात्मक समस्याओं और कठिनाइयों का पता लगाना अक्सर मुश्किल होता है. गुप्ता ने कहा, “बदमाशी के कारण पीड़ित छात्रों का आत्म-सम्मान कम हो सकता है और वे अपनी भलाई को लेकर दैनिक तनाव से ग्रस्त हो सकते हैं.” बता दें कि इससे पहले भी कई मौकों पर स्कूलों के वातावरण को अच्छा बनाने के लिए समय-समय पर कई परिवर्तन किए जा चुके हैं.
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