इस निर्णय को लागू करने के लिए सरकार ने बुधवार को ओडिशा बच्चों के निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार नियम, 2010 में आवश्यक संशोधन किए.
Bhubaneswar: ओडिशा में अब पढ़ाई से भागने वाले बच्चों की दाल नहीं गलेगी. सरकार ने अब ऐसी व्यवस्था कर दी है कि यदि वे पढ़ाई से बहाना बनाते हैं और कक्षा 5 व 8 में कम नंबर आते हैं तो उन्हें फेल कर दिया जाएगा. सरकार ने नई व्यवस्था लागू कर दी है. हालांकि सरकार फेल छात्रों को पास होने के लिए एक मौका देगी. ओडिशा सरकार ने चालू शैक्षणिक वर्ष से कक्षा 5 और 8 की वार्षिक परीक्षाओं में फेल करने की व्यवस्था लागू की है. इस निर्णय को लागू करने के लिए सरकार ने बुधवार को ओडिशा बच्चों के निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार नियम, 2010 में आवश्यक संशोधन किए. राज्य विद्यालय एवं जन शिक्षा विभाग ने बताया कि कक्षा 5 और 8 में प्रत्येक शैक्षणिक वर्ष के अंत में नियमित परीक्षा आयोजित की जाएगी. यदि कोई बच्चा परीक्षा में फेल हो जाता है, तो उसे अतिरिक्त मौके दिए जाएंगे और परिणाम घोषित होने की तिथि से दो महीने के भीतर पुनः परीक्षा का अवसर दिया जाएगा.
स्कूल से निष्कासित नहीं होंगे बच्चे
अधिसूचना में कहा गया है कि यदि पुनर्परीक्षा में बैठने वाला बच्चा फिर से पदोन्नति के मानदंडों को पूरा करने में विफल रहता है, तो उसे पांचवीं या आठवीं कक्षा में रोक दिया जाएगा. पिछले साल दिसंबर में भारत सरकार ने बाल अधिकार और मुफ्त स्कूल शिक्षा अधिनियम 2010 (RTE अधिनियम 2010) में संशोधन किया था. शिक्षा विभाग ने कहा है कि प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने तक किसी भी बच्चे को किसी भी स्कूल से निकाला नहीं किया जाएगा. ये संशोधन राज्यों को कक्षा 5 और 8 के छात्रों के लिए नियमित परीक्षा आयोजित करने और अनुत्तीर्ण होने पर उन्हें रोक देने की अनुमति देते हैं. ये संशोधन 2019 में RTE अधिनियम में संशोधन के पांच साल बाद आए हैं.
व्हाट्सएप के ज़रिए जूनियर्स को परेशान करना माना जाएगा रैगिंग
New Delhi: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने उच्च शिक्षा संस्थानों को जूनियर्स को परेशान करने के लिए बनाए गए किसी भी व्हाट्सएप ग्रुप पर नज़र रखने का निर्देश दिया है. अधिकारियों के अनुसार, इसे रैगिंग माना जाएगा और रैगिंग विरोधी नियमों के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी. यूजीसी को हर साल नए छात्रों से सीनियर्स द्वारा उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली दर्जनों शिकायतें मिलती हैं. यूजीसी ने अपने नवीनतम निर्देश में कहा कि कई मामलों में सीनियर्स अनौपचारिक व्हाट्सएप ग्रुप बनाते हैं, जूनियर्स से संपर्क करते हैं और उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित करते हैं. यह भी रैगिंग के समान है और इसके लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.
परिसर में छात्रों की सुरक्षा सर्वोपरि
परिसर में छात्रों की सुरक्षा सर्वोपरि है और इससे कोई समझौता नहीं किया जा सकता. कहा कि रैगिंग विरोधी मानदंडों को लागू न करने पर कड़ी कार्रवाई की जा सकती है, जिसमें अनुदान रोकना भी शामिल है. सलाह में उन घटनाओं का भी ज़िक्र किया गया है जहां जूनियर छात्रों को वरिष्ठों के निर्देशों का पालन न करने पर सामाजिक बहिष्कार की धमकी दी गई थी. छात्रों को बाल कटवाने के लिए मजबूर करना, लंबे समय तक जागते रहना या उन्हें मौखिक रूप से अपमानित करना रैगिंग की अन्य सामान्य प्रथाओं में शामिल हैं.
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