Home Education दिन में मजदूरी, रात में पढ़ाई, लोग उड़ाते थे मजाक… कक्षा 10 पास करने वाला इस गांव का पहला छात्र बना रामकेवल

दिन में मजदूरी, रात में पढ़ाई, लोग उड़ाते थे मजाक… कक्षा 10 पास करने वाला इस गांव का पहला छात्र बना रामकेवल

by Sanjay Kumar Srivastava
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Historic Achievement: Ramkeval Journey to Success

जिला मजिस्ट्रेट शशांक त्रिपाठी ने रविवार को रामकेवल और उनके माता-पिता को इस उपलब्धि के लिए सम्मानित किया. उन्होंने उसे पढ़ाई में हर संभव मदद का आश्वासन भी दिया.

Barabanki: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी के एक सुदूर गांव के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में 15 वर्षीय एक किशोर आजादी के बाद से कक्षा 10 की बोर्ड परीक्षा पास करने वाला पहला छात्र बन गया है. रामकेवल निजामपुर गांव का रहने वाला है, जो यहां से लगभग 30 किमी दूर है और इसकी आबादी लगभग 300 है, जो मुख्य रूप से दलित समुदाय से है. चार भाई-बहनों में सबसे बड़े रामकेवल ने अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए दिन में छोटे-मोटे काम किए और परीक्षाओं की तैयारी के लिए आधी रात तक पढ़ाई की. जिला मजिस्ट्रेट शशांक त्रिपाठी ने रविवार को रामकेवल और उनके माता-पिता को इस उपलब्धि के लिए सम्मानित किया. उन्होंने उसे पढ़ाई में हर संभव मदद का आश्वासन भी दिया.

सबसे बड़े होने के नाते घर के खर्च में भी बंटाता था हाथ

भावुक होते हुए रामकेवल ने बताया कि वह शादी के जुलूसों में लाइटें लेकर चलता था और प्रतिदिन 250 से 300 रुपये कमाता था. निजामपुर के पास अहमदपुर में सरकारी इंटर कॉलेज में पढ़ने वाले रामकेवल ने बताया कि देर रात को घर लौटने के बावजूद मैं घर पर सोलर लैंप के नीचे कम से कम दो घंटे पढ़ाई करता था. गांव के कुछ लोग मेरा मजाक उड़ाते थे और कहते थे कि मैं कभी हाई स्कूल पास नहीं कर पाऊंगा. लेकिन मुझे हमेशा लगता था कि मैं उन्हें गलत साबित कर दूंगा. सबसे बड़े होने के नाते वह घर के खर्च में भी हाथ बंटाता था. उन्होंने कहा कि गरीबी इंसान को सब कुछ करने पर मजबूर कर देती है. लेकिन मैं पढ़ना चाहता था, चाहे कुछ भी हो जाए.

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सपनाः इंजीनियर बनना चाहता है रामकेवल

अपने सपनों के बारे में पूछे जाने पर रामकेवल ने कहा कि वह इंजीनियर बनना चाहता है, लेकिन उसे अभी भी यकीन नहीं होता कि उसने 10वीं पास कर ली है. उसने कहा कि यह सच है, इसे स्वीकार करने में समय लगेगा. रामकेवल के परिवार और शिक्षकों के अनुसार, वह हमेशा से ही एक होनहार छात्र रहे हैं और टेस्ट और परीक्षाओं में लगातार अच्छा प्रदर्शन करते रहे हैं. गांव के प्राथमिक विद्यालय में रसोइया का काम करने वाली उनकी मां पुष्पा गर्व से अभिभूत थीं. कहा कि मुझे हमेशा लगता था कि मेरा बेटा पास हो जाएगा. मैंने केवल कक्षा 5 तक पढ़ाई की है, लेकिन मैं चाहती हूं कि हमारे आर्थिक संघर्षों के बावजूद मेरे बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त करें.

पिता ने कहा- पढ़ाई के लिए हमेशा बेटे को किया प्रोत्साहित

रामकेवल के पिता जगदीश, जो दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करते हैं, ने कहा कि मैं पढ़ नहीं सका, लेकिन मैंने हमेशा अपने बेटे को प्रोत्साहित किया. यहां तक ​​कि जब वह मेरे साथ काम करने आता था, तो वह वापस आकर पढ़ाई करता था. जिला विद्यालय निरीक्षक (DIOS) ओपी त्रिपाठी ने छात्र के दृढ़ संकल्प की प्रशंसा करते हुए कहा कि रामकेवल ने अगली पीढ़ियों को सफलता का मार्ग दिखाया है. मैं उसे और उसके परिवार को गांव के इतिहास में एक नया प्रेरणादायक अध्याय लिखने के लिए बधाई देता हूं. वह उन छात्रों के लिए एक आदर्श हैं जो शिक्षा को लेकर निराशा महसूस करते हैं.

रामकेवल से प्रेरित होकर अन्य छात्रों ने भी पढ़ाई का दोहराया संकल्प

इस बीच गांव के अन्य छात्र जैसे लवलेश और मुकेश, जो इस साल परीक्षा पास करने में असफल रहे, ने रामकेवल से प्रेरित होकर कड़ी मेहनत से पढ़ाई करने का संकल्प दोहराया है. लवलेश के पिता ननकू ने कहा कि मैंने कक्षा 8 तक पढ़ाई की है. मैं खेतों में काम करता हूं, लेकिन मैं नहीं चाहता कि मेरा बेटा मजदूर बना रहे. शिक्षा ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है.

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