Bangladesh Politics: बांग्लादेश इस समय एक कठीन दौर से गुजर रहा है. मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार को न केवल आंतरिक दबाव, बल्कि सेना और विपक्ष से भी चुनौती मिल रही है.
Bangladesh Politics: बांग्लादेश की राजनीति एक बार फिर उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है. देश की राजधानी ढाका से लेकर ग्रामीण इलाकों तक, लोकतंत्र, चुनाव और सत्ता को लेकर जबरदस्त खींचतान चल रही है. मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बनी अंतरिम सरकार अब सवालों के घेरे में है, और उनके ताजा बयान ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है. यूनुस की चेतावनी से यह स्पष्ट है कि वे पीछे हटने के मूड में नहीं हैं, लेकिन यदि चुनाव को लेकर स्पष्ट दिशा नहीं तय हुई, तो यह संकट और गहराता जा सकता है.
यूनुस ने दी स्पष्ट चेतावनी
24 मई 2025 को अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने साफ शब्दों में कहा कि यदि सरकार के कार्यों में बाधा डाली गई, तो जनता के समर्थन से सख्त निर्णय लिए जाएंगे. यह सीधा संदेश उन ताकतों को था जो दिसंबर 2025 से पहले चुनाव कराने का दबाव बना रहे हैं, जैसे BNP, सेना और कट्टरपंथी इस्लामी गुट.
हालांकि, यूनुस के इस्तीफे की अफवाहों ने छात्र नेताओं और सहयोगियों को चिंतित किया, लेकिन यूनुस ने स्वयं स्पष्ट किया कि वे अपने पद पर बने रहेंगे.
लोकतंत्र की बहाली या राजनीतिक अवसरवाद?
BNP नेता मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने आरोप लगाया कि “चुनाव टालने की साजिश चल रही है,” जिससे जनता का मतदान अधिकार छीना जा रहा है. वहीं, सेना प्रमुख जनरल वकर-उज-जमान ने यह कहते हुए हस्तक्षेप किया कि “देश का भविष्य केवल एक निर्वाचित सरकार ही तय कर सकती है.” यह बयान एक तरह की संवैधानिक चेतावनी के तौर पर देखा जा रहा है और यूनुस सरकार को जल्द चुनाव करवाने की ओर धकेल सकता है.

छात्र आंदोलन और NCP का दोहरा रवैया
शेख हसीना सरकार के पतन के पीछे छात्र संगठनों और नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) का बड़ा हाथ था. लेकिन अब यही संगठन यूनुस सरकार पर भी दबाव बनाने में जुटे हैं. NCP और इस्लामी गुटों की ओर से नीतिगत असहमति और असंतोष फैलाया जा रहा है, जिससे न केवल राजनीतिक अस्थिरता बढ़ रही है, बल्कि अर्थव्यवस्था भी चरमरा रही है. चुनाव की स्पष्ट तारीख तय न होने से कानून व्यवस्था पर भी असर पड़ा है, और यूनुस सरकार की लोकप्रियता गिरती दिख रही है.
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