Pakistan Economic Crisis: पाकिस्तान सरकार ने आर्थिक संकट से जूझते हुए पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भारी बढ़ोतरी कर दी है, जिसका बोझ सीधे आम जनता पर पड़ रहा है.
Pakistan Economic Crisis: पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है. भारत को दुश्मन मानकर आतंकवादियों को पालने और सैन्य शक्ति बढ़ाने में सारे संसाधन झोंक देने वाले पाकिस्तान की जनता अब घुट-घुटकर जीने को मजबूर है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और अन्य देशों के सामने कटोरा लेकर खड़े होने की नौबत आ चुकी है. हाल ही में वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट ने चेतावनी दी थी कि इस साल पाकिस्तान में करीब एक करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे जा सकते हैं. इस बीच, कमरतोड़ महंगाई ने वहां की जनता की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं.
आर्थिक संकट में बुरा फंसा पाक
पाकिस्तान सरकार ने आर्थिक संकट से जूझते हुए पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भारी बढ़ोतरी कर दी है, जिसका बोझ सीधे आम जनता पर पड़ रहा है. पेट्रोल की कीमत में 4.80 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि के बाद अब यह 258.43 रुपये प्रति लीटर हो गया है. वहीं, हाई-स्पीड डीजल की कीमत में 7.95 रुपये की बढ़ोतरी की गई, जिसके बाद यह 262.59 रुपये प्रति लीटर पहुंच गया है. ये नई दरें अगले 15 दिनों के लिए लागू रहेंगी. इस बढ़ोतरी का उद्देश्य आईएमएफ को खुश कर एक और बेलआउट पैकेज हासिल करना है, लेकिन इसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है.
पाकिस्तान में मध्यम वर्ग की मुश्किलें और बढ़ीं
पाकिस्तान की जनता पहले से ही महंगाई और बेरोजगारी से त्रस्त है. पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि से रोजमर्रा की वस्तुओं और परिवहन की लागत बढ़ेगी, जिससे गरीब और मध्यम वर्ग की मुश्किलें और गहरा जाएंगी. आईएमएफ ने पाकिस्तान पर कठोर शर्तें थोप दी हैं, क्योंकि उसे पता है कि पाकिस्तान के पास इन शर्तों को मानने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है. हाल ही में आईएमएफ ने नकद भुगतान पर पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 2 रुपये की अतिरिक्त वृद्धि और डिजिटल भुगतान पर 2 रुपये की छूट का प्रस्ताव रखा था. इसके अलावा, पेट्रोल, डीजल और गैसोलीन से चलने वाले वाहनों पर कार्बन टैक्स लगाने की भी सिफारिश की गई थी.
हालात सुधरने के बजाय और बिगड़ रहे
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ अपनी सरकार की आर्थिक नीतियों को बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं, लेकिन हालात सुधरने के बजाय और बिगड़ रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यही स्थिति रही तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और गहरे संकट में फंस सकती है. जनता की नाराजगी बढ़ रही है, और सरकार के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती अपनी विश्वसनीयता और जनता का भरोसा बनाए रखने की है.
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