Home अंतरराष्ट्रीय Pingali Venkayya Jayanti 2025: इतिहास के पन्नों से राष्ट्र के प्रतीक तक! पिंगली वेंकय्या की तिरंगा यात्रा का 149वां वर्ष

Pingali Venkayya Jayanti 2025: इतिहास के पन्नों से राष्ट्र के प्रतीक तक! पिंगली वेंकय्या की तिरंगा यात्रा का 149वां वर्ष

by Jiya Kaushik
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Pingali Venkayya Jayanti 2025: जिनके विचारों से जन्मा भारत का राष्ट्रीय ध्वज, उनका 149वां जन्मदिवस 2 अगस्त को मनाया जाएगा. जानें उस शख्स के इतिहास के बारे में जिसने भारत को दी पहचान.

Pingali Venkayya Jayanti 2025: भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अनेक वीरों और विचारकों ने योगदान दिया, लेकिन पिंगली वेंकय्या (Pingali Venkayya) का नाम विशेष रूप से स्मरणीय है क्योंकि उन्होंने वह तिरंगा झंडा डिजाइन किया जो आज़ाद भारत की पहचान बन गया. हर साल 2 अगस्त को उनकी जयंती ‘झंडा वेंकय्या’ के रूप में मनाई जाती है. 2025 में यह उनका 149वां जन्मदिवस होगा, जिसे पूरे देश में श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाया जाएगा.

कौन थे पिंगली वेंकय्या?

पिंगली वेंकय्या का जन्म 2 अगस्त 1876 को आंध्र प्रदेश के भटलापेनुमरु गांव में हुआ था. वह एक स्वतंत्रता सेनानी, किसान, शिक्षाविद, भाषाविद और राष्ट्रभक्त थे. उन्होंने महात्मा गांधी के साथ निकटता से काम किया और उनके विचारों से प्रभावित होकर स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाई. वेंकय्या ने प्रारंभिक शिक्षा चल्लापल्ली और मछलीपट्टनम से प्राप्त की. बाद में वे उच्च शिक्षा के लिए कोलंबो गए और वहीं उन्होंने सीनियर कैम्ब्रिज परीक्षा पास की. वे कुछ समय के लिए मलेरिया और प्लेग निरीक्षक के रूप में मद्रास और बेल्लारी में भी कार्यरत रहे.

उनका पेशेवर जीवन और बहुआयामी प्रतिभा

वेंकय्या मात्र 19 वर्ष की उम्र में ब्रिटिश भारतीय सेना में शामिल हुए और दक्षिण अफ्रीका में द्वितीय बोअर युद्ध में हिस्सा लिया. सेना से लौटने के बाद उन्होंने रेलवे में गार्ड के रूप में कार्य किया, लेकिन बाद में कृषि और रिसर्च में रुचि ली. वे कपास की खेती में गहरी रुचि रखते थे और ‘कम्बोडिया कॉटन’ पर किए गए अपने शोध के कारण उन्हें ‘पट्टी वेंकय्या’ के नाम से भी जाना गया. भाषाओं के ज्ञाता वेंकय्या ने 1913 में जापानी भाषा में भाषण देकर सबको चौंका दिया और इसी कारण उन्हें ‘जापान वेंकय्या’ की उपाधि भी दी गई.

राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण: गांधी से प्रेरित ऐतिहासिक क्षण

मार्च 1921 में, विजयवाड़ा (तत्कालीन बेज़वाड़ा) में हुए कांग्रेस अधिवेशन के दौरान महात्मा गांधी ने राष्ट्रीय ध्वज की आवश्यकता पर जोर दिया. इसी सभा में पिंगली वेंकय्या ने गांधी जी से भेंट की और अपने द्वारा तैयार किया गया झंडा दिखाया. प्रारंभिक डिजाइन में उन्होंने दो रंग, केसरिया और हरा को शामिल किया, जो हिंदू और मुस्लिम समुदाय का प्रतीक थे. बाद में शांति के लिए सफेद पट्टी और स्वदेशी व आत्मनिर्भरता के प्रतीक चरखा को केंद्र में जोड़ा गया. यह डिजाइन 1931 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा आधिकारिक रूप से अपनाया गया, जो बाद में स्वतंत्र भारत के ध्वज की नींव बना.

उनकी स्थायी विरासत और स्मृति

पिंगली वेंकय्या की पहचान सिर्फ तिरंगे तक सीमित नहीं है. वे एक सच्चे देशभक्त, विद्वान और किसान हितैषी व्यक्ति थे. उनके विचार और समर्पण आज भी युवाओं को प्रेरित करते हैं. उनका योगदान भले ही लंबे समय तक गुमनामी में रहा हो, लेकिन आज देश उन्हें गर्व से याद करता है. 4 जुलाई 1963 को उनका निधन हुआ, लेकिन उन्होंने जो झंडा देश को दिया, वह आज भी हर नागरिक के दिल में देशभक्ति की भावना को जागृत करता है.

पिंगली वेंकय्या न केवल तिरंगे के जनक थे, बल्कि भारत की आजादी और आत्मगौरव के प्रतीक भी हैं. उनका जीवन प्रेरणादायक था, जो समर्पण, विद्वता और देशभक्ति से भरा था. 2 अगस्त 2025 को जब भारत उनका 149वां जन्मदिवस मनाएगा, तो यह न केवल एक व्यक्ति को श्रद्धांजलि होगी, बल्कि उस विचार और भाव को भी सम्मानित करने का अवसर होगा, जिसने भारत को एकता का प्रतीक तिरंगा दिया.

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