Donald Trump: ट्रंप ने अपनी पोस्ट में लिखा, “ईरान को उस सौदे पर हस्ताक्षर कर लेना चाहिए था, जिसकी मैंने सलाह दी थी. यह कितनी शर्मनाक बात है और मानव जीवन की बर्बादी है.
Donald Trump: ईरान और इजरायल के बीच चल रहा तनाव और युद्ध अभी तक शांत नहीं हुआ है. इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को लेकर एक सनसनीखेज सोशल मीडिया पोस्ट शेयर की है, जिसमें उन्होंने ईरान की राजधानी तेहरान को तुरंत खाली करने की चेतावनी दी है. ट्रंप ने यह भी कहा कि ईरान का परमाणु समझौता (न्यूक्लियर डील) साइन न करने का फैसला बेहद मूर्खतापूर्ण था, जिसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं.
ट्रंप ने अपनी पोस्ट में लिखा, “ईरान को उस सौदे पर हस्ताक्षर कर लेना चाहिए था, जिसकी मैंने सलाह दी थी. यह कितनी शर्मनाक बात है और मानव जीवन की बर्बादी है. साफ शब्दों में कहूं तो ईरान के पास परमाणु हथियार नहीं हो सकते. मैंने यह बार-बार कहा है! सभी को तुरंत तेहरान खाली कर देना चाहिए!” इस बयान ने वैश्विक स्तर पर हलचल मचा दी है, क्योंकि यह पहली बार है जब किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने इतने कड़े शब्दों में ईरान को धमकी दी है.
ट्रंप का शांति का दावा
हाल ही में ट्रंप ने दावा किया था कि उनके प्रयासों से इजरायल और ईरान के बीच जल्द ही शांति स्थापित हो सकती है. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा था कि जिस तरह उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार के जरिए तनाव कम किया, उसी तरह वह इजरायल और ईरान को भी बातचीत की मेज पर ला सकते हैं. ट्रंप ने कहा, “मैंने भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार के माध्यम से समझदारी और स्थिरता लाई. दो शानदार नेताओं के साथ बातचीत से एक बड़ा टकराव टल गया. इजरायल और ईरान के बीच भी वैसा ही समझौता जल्द संभव है.”
वैश्विक चिंता बढ़ी
ट्रंप की इस चेतावनी के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चिंता बढ़ गई है. विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का यह बयान मध्य पूर्व में तनाव को और बढ़ा सकता है. ईरान ने अभी तक इस बयान पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन तेहरान में नागरिकों के बीच दहशत का माहौल है. दूसरी ओर, इजरायल ने ट्रंप के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम को हर हाल में रोका जाना चाहिए.
आगे क्या?
ट्रंप की इस पोस्ट ने सवाल खड़े किए हैं कि क्या अमेरिका ईरान के खिलाफ कोई सैन्य कार्रवाई की योजना बना रहा है? या यह केवल कूटनीतिक दबाव बनाने की रणनीति है? फिलहाल, वैश्विक शक्तियां इस मामले पर नजर रखे हुए हैं, और मध्य पूर्व में शांति की उम्मीदें धूमिल होती दिख रही हैं.
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