Turkiye in Support of Palestinians : रविवार को तुर्किये में हुए विरोध प्रदर्शन यूरोपीय शहरों में आयोजित अन्य विरोध प्रदर्शनों में से एक था, जिसका उद्देश्य 7 अक्टूबर 2023 को इजराइल पर हमास के हमले की दूसरी वर्षगांठ मनाना था.
Turkiye in Support of Palestinians : फिलिस्तीन में नरसंहार को लेकर यूरोप में अभी तक लोग अपने घरों से बाहर निकलकर नारे लगा रहे थे और गाजा में मारे गए लोगों के प्रति एकजुटता दिखा रहे थे. इसी बीच अब तुर्किये में भी आम लोगों सड़कों पर उतर आए हैं और फिलिस्तीनियों के समर्थन में जमकर नारे लगाए. इस्तांबुल में हुए सबसे बड़े प्रदर्शन के फुटेज में भीड़ को प्रतिष्ठित हागिया सोफिस गोल्डन हॉर्न के तट तक जाते हुए दिखाया गया, जहां पर तुर्किये और फिलिस्तीनी झंडों से सजी दर्जनों नावों से उनका स्वागत किया. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने फिलिस्तीनियों के साथ मुस्लिम एकजुटता का आह्वान किया.
67 हजार से ज्यादा फिलिस्तीनी मारे गए
रविवार को तुर्किये में हुए विरोध प्रदर्शन यूरोपीय शहरों में आयोजित अन्य विरोध प्रदर्शनों में से एक था, जिसका उद्देश्य 7 अक्टूबर 2023 को इजराइल पर हमास के हमले की दूसरी वर्षगांठ मानना था, जिसने गाजा में युद्ध छेड़ दिया था. हमास द्वारा संचालित सरकार के अंतर्गत आने वाले स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, इजराइल के हमलों में 67 हजार से अधिक फिलिस्तीनी मारे गए हैं. तुर्की की राजधानी अंकारा में प्रदर्शनकारियों ने गाजा में नरसंहार की निंदा करते हुए झंडे और तख्तियां लहराईं. पूरे यूरोप में फिलिस्तीन समर्थक रैलियों में भारी संख्या में लोग उमड़े हैं, जिनमें गाजा में युद्ध को तुरंत समाप्त करने और उस क्षेत्र में मानवीय सहायता ले जा रहे एक बेड़े में सवार कार्यकर्ताओं की रिहाई मांग की गई है.
लोगों ने नरसंहार रोकने का आह्वान किया
रोम में पुलिस ने बताया कि बीते सप्ताह गाजा में पहुंचने की कोशिश कर रहे 45 नावों के बेड़े को इजराइल द्वारा रोके जाने के बाद शनिवार को लगातार चौथे दिन करीब 2,50,000 लोग विरोध प्रदर्शनों में शामिल हुए. इसी बीच पश्चिमी बंदरगाह शहर इजमिर में लोगों ने ग्लोबल सुमुद फ्लोटिला के प्रति समर्थन व्यक्त किया, जिसे पिछले हफ्ते इजराइली बलों ने गाजा की नौसैनिक नाकाबंदी को तोड़ने की कोशिश करते हुए देख पकड़ लिया. फिलिस्तीन सपोर्ट प्लेटफॉर्म के रेसेप कराबल ने उत्तरी शहर किरिक्काले में भीड़ को संबोधित करते हुए कहा कि फिलिस्तीनियों पर उत्पीड़न साल 1948 में शुरू हुआ था और वह बीते दो सालों में चरम पर पहुंच गया है, साथ ही नरसंहार में तब्दील हो गया है. बता दें कि मुस्लिम बहुल तुर्की में फिलिस्तीनियों के प्रति व्यापक समर्थन देखने को मिला है और राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन भी इजराइल के सैन्य अभियानों के एक प्रमुख आलोचक हैं.
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