Supreme Court: कोविड-19 के दौरान जान गंवाने वाले डॉक्टरों के परिवार को 50 लाख मिलेंगे. यह महत्वपूर्ण फैसला सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया है.
Supreme Court: कोविड-19 के दौरान जान गंवाने वाले डॉक्टरों के परिवार को 50 लाख मिलेंगे. यह महत्वपूर्ण फैसला सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुनाया कि कोविड-19 महामारी के दौरान कर्तव्य निभाते हुए जान गंवाने वाले डॉक्टरों के परिवार “प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना” के तहत 50 लाख रुपये के बीमा कवरेज के हकदार हैं. न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और आर महादेवन की पीठ ने बॉम्बे उच्च न्यायालय के उस फैसले को रद्द कर दिया जिसमें कहा गया था कि निजी डॉक्टर सरकारी बीमा योजना के तहत कवरेज के हकदार नहीं हैं. पीठ ने कहा कि डॉक्टरों की सेवाओं की आवश्यकता है और यह अधिनियम महाराष्ट्र कोविड-19 रोकथाम एवं नियंत्रण विनियम 2020, नवी मुंबई नगर निगम के 31 मार्च 2020 के आदेश, पीएमजीकेवाई-पैकेज योजना, पीएमजीकेवाई नीति के स्पष्टीकरण पत्र और जारी किए गए प्रावधानों को एक साथ पढ़ने से स्पष्ट है. पीठ ने कहा कि कानूनों और विनियमों का आह्वान डॉक्टरों की सेवाओं की आवश्यकता सुनिश्चित करने के लिए किया गया था.
निजी डॉक्टर भी बीमा के हकदार
पीठ ने कहा कि बीमा योजना का उद्देश्य अग्रिम पंक्ति में कार्यरत डॉक्टरों और स्वास्थ्य पेशेवरों को यह आश्वासन देना था कि देश उनके साथ है. न्यायालय ने कहा कि पीएमजीकेवाई-पैकेज के तहत किए गए बीमा के व्यक्तिगत दावों पर कानून के अनुसार और साक्ष्यों के आधार पर विचार किया जाएगा और निर्णय लिया जाएगा. इसमें आगे कहा गया है कि यह साबित करने का दायित्व दावेदार पर है कि मृतक की मृत्यु कोविड-19 से संबंधित कर्तव्य निभाते हुए हुई और इसे विश्वसनीय साक्ष्यों के आधार पर स्थापित किया जाना चाहिए. शीर्ष न्यायालय प्रदीप अरोरा और अन्य द्वारा बॉम्बे उच्च न्यायालय के 9 मार्च, 2021 के उस आदेश के विरुद्ध दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें कहा गया था कि निजी अस्पताल के कर्मचारी बीमा योजना के तहत लाभ प्राप्त करने के पात्र नहीं हैं, जब तक कि उनकी सेवाओं की मांग राज्य या केंद्र सरकार द्वारा न की गई हो.
सुरक्षा कवच बना पीएम गरीब कल्याण बीमा योजना
किरण भास्कर सुरगड़े ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिनके पति की 2020 में कोविड-19 से मृत्यु हो गई थी. उनके पति महाराष्ट्र के ठाणे में एक निजी क्लिनिक चलाते थे. बीमा कंपनी ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज (पीएमजीकेपी) के तहत उनके दावे को इस आधार पर खारिज कर दिया कि उनके पति के क्लिनिक को कोविड-19 अस्पताल के रूप में मान्यता नहीं दी गई थी. पीएमजीकेपी की घोषणा मार्च 2020 में की गई थी और तब से इसका कवरेज बढ़ाया गया है. इसे स्वास्थ्य कर्मियों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए शुरू किया गया था ताकि किसी भी प्रतिकूल परिस्थिति में उन्हें सहायता मिल सके. बीमा राशि से कोविड-19 से जान गंवाने वाले स्वास्थ्यकर्मियों के परिवारों की देखभाल की जाती है. पीएमजीकेपी के तहत स्वास्थ्यकर्मियों को 50 लाख रुपये का बीमा कवर प्रदान किया जाता है, जो संक्रमण से जान गंवाने वाले कोविड योद्धाओं के आश्रितों के लिए एक सुरक्षा कवच बन गया था.
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