Operation Sindoor Planning : पहलगाम में हुए हमले को लेकर थल सेना प्रमुख उपेंद्र द्विवेदी ने कई राज खोले हैं. पहली बार उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की योजना को लेकर बयान दिया है.
Operation Sindoor Planning : जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. इस दौरन 26 लोगों की मौत हो गई थी. ऐसे में पहली बार थल सेना अध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने इसपर प्रतिक्रिया देते हुए इसकी योजना से लेकर किस तरह से इसे अंजाम दिया गया है उसके बारे में बताया है. इस दौरान उन्होंने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर एक शतरंज के खेल की तरह था जिसमें दुश्मन को शह और मात दे रहे थे. इस ऑपरेशन के लिए सरकार ने सेना को खुली छूट दी थी.
हमले के अगले दिन बैठक
उन्होंने कहा कि हमले के दूसरे दिन यानी 23 अप्रैल को बैठक हुई थी. इस दौरान सभी तीनों सेनाओं के प्रमुख ने इस बात का समर्थन दिया था कि पाकिस्तान के साथ कुछ बड़ा किया जाना जरूरी है. सरकार ने हमें पूरी खुली छूट दी गई कि आप तय कीजिए कि क्या करना है.’ यही वह भरोसा राजनीतिक दिशा और स्पष्टता थी, जो हमने पहली बार देखी. इस तरह की रीजनीतिक समर्थन से सैनिकों का मनोबल बढ़ता है. उन्होंने आगे कहा कि ऑपरेशन सिंदूर, उरी और बालाकोट जैसे पहले के अभियानों से अलग था. इस ऑपरेशन में हमने दुश्मन के इलाके में और भी गहराई तक हमला किया है.

क्या थी रणनीति
बता दें कि उन्होंने न केवल सरकार की छूट के बारे में बताया बल्कि कई राज खोले हैं. उनका ये बयान IIT मद्रास में एक संबोधन के दौरान आया है. उन्होंने आगे बताया कि 25 अप्रैल को हम नॉर्दर्न कमांड पहुंचे थे जहां पर हमने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर योजना बनाई थी. इसे लेकर कॉन्सेप्ट तैयार किया और उसे अंजाम दिया. इस 9 दौरान पाकिस्तान के 9 ठिकानों को निशाना बनाया गया.
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रक्षा मंत्री ने आर्मी का बढ़ाया हौसला
संबोधन के दौरान जनरल द्विवेदी ने ये भी बताया कि इसकी योजना 23 अप्रैल को शुरू हुई, जब तीनों सेना प्रमुखों और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह नेइस बात का समर्थन किया कि कुछ बड़ा करना होगा. उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी कहा कि मुझे लगता है कि अब बहुत हो गया.
पीएम मोदी से हुई मुलाकात
इस कड़ी में जनरल द्विवेदी ने ये भी बताया कि बार पहली बार हमारी मुलाकात पीएम से 29 अप्रैल को हुई थी. उस दौरान ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा हुई. पहले इसे ऑपरेशन सिंधु का नाम दिया जाना था लेकिन बाद इसका नाम ऑपरेशन सिंदूर कर दिया गया. उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि कैसे एक छोटा सा नाम ऑपरेशन सिंदूर पूरे देश को जोड़ता है.
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