इजरायल-ईरान में जारी युद्ध के बीच कांग्रेस ने केंद्र सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाए हैं. कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने कहा कि आखिर भारत क्यों कुछ नहीं बोल रहा है.
Ashok Gehlot on Israel-Iran War: इजरायल-ईरान में जारी जंग के बीच कांग्रेस लगातार केंद्र सरकार पर निशाना साध रही है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने भी अब केंद्र की चुप्पी पर सवाल उठा दिए हैं. अशोक गहलोत ने सवाल उठाया कि आखिर भारत इस मुद्दे पर क्यों नहीं बोल पा रहा है. इस दौरान अशोक गहलोत ने गुटनिरपेक्ष आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा कि इंदिरा गांधी कार्यकाल में भारत इस आंदोलन में सबसे आगे था. अशोक गहलोत ने कहा, “इजरायल-ईरान युद्ध पर आखिर भारत क्यों नहीं बोल पा रहा है. इंदिरा गांधी के समय मेें गुटनिरपेक्ष आंदोलन जारी था. भारत तीसरी दुनिया के देशों का मुख्य नेता था, हमारी पहचान थी कि हम गुटनिरपेक्ष राष्ट्र हैं और किसी भी ग्रुप के साथ नहीं हैं.
‘दुनिया संकट में हैं और भारत चुप है’
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने संजय गांधी की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि देने के बाद पीसीसी कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत की. पत्रकारों से बातचीत में अशोक गहलोत ने कहा, “आज जब इजरायल और ईरान के बीच युद्ध होता है, तो अमेरिका कहता है कि वह 15 दिन में फैसला करेगा और फिर अचानक रात में हमला कर संघर्ष में उतर जाता है. मौजूदा दौर में दुनिया संकट में है और भारत ने चुप्पी साधी हुई है. कुछ क्यों नहीं बोल रहा है?” बता दें कि इससे पहले कांग्रेस के कई नेताओं ने भी भारत की चुप्पी पर सवाल उठाए थे जिसमें सोनिया गांधी भी शामिल थीं. इजरायल-ईरान संघर्ष पर सोनिया गांधी के हालिया लेख पर उन्होंने कहा कि उन्होंने जो कुछ भी कहा वह जनता और देश के हित में था. अशोक गहलोत ने कहा, “भारत इतना बड़ा लोकतांत्रिक देश है, लोग हमसे अपेक्षा रखते हैं. सोनिया गांधी ने ये सारी बातें सोच-समझकर कही हैं, इसलिए भाजपा बेचैन हो गई, जबकि सकारात्मक सोच वाले लोग उनके लेख का अच्छे तरीके से विश्लेषण कर रहे हैं और उसकी प्रशंसा भी कर रहे हैं.”
जाति जनगणना पर क्या कहा?
अशोक गहलोत ने इस दौरान जाति जनगणना का भी जिक्र किया. गहलोत ने जाति आधारित जनगणना के लिए अपने प्रयास को रेखांकित करते हुए कहा, “आज राहुल गांधी उसी परंपरा में समाज सुधारक के रूप में उभर रहे हैं. इससे अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अन्य पिछड़े वर्गों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के साथ-साथ सामान्य श्रेणियों के लिए समावेशी कल्याणकारी रणनीति तैयार करने में मदद मिलेगी. स्वतंत्रता से पहले भी, चाहे वह महात्मा गांधी हों, जवाहरलाल नेहरू हों, मौलाना आज़ाद हों या सरदार पटेल हों, कांग्रेस पार्टी ने दूरदर्शी कदमों के साथ देश का नेतृत्व किया और स्वतंत्रता के बाद भी ऐसा करना जारी रखा.”
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