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क्या है ग्रेट निकोबार परियोजना? जिसपर सियासत हुई तेज, कांग्रेस बोली- कोर्ट में मंजूरी को…

by Sachin Kumar
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Great Nicobar Project Congress Against

Great Nicobar Project : ग्रेट निकोबार परियोजना पर सत्ता और विपक्ष आमने सामने आ गए हैं. विपक्ष कहना है कि इस प्रोजेक्ट के लिए उचित मंजूरी नहीं ली गई, जबकि सत्ता पक्ष का कहना है कि सभी जरूरी मंजूरी ले ली गई है.

Great Nicobar Project : ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर कांग्रेस सरकार पर हमलावर है. नीति आयोग की तरफ से साल 2021 में प्रस्तावित इस परियोजना को मुद्दा बनाकर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि ग्रेट निकोबार मेगा इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना पर्यावरण पर गहरा प्रभाव डालता है, जिसे मोदी सरकार बुलडोजर से पारित करा रही है, जबकि पर्यावरणीय मंजूरियों को अभी कोर्ट में चुनौती दी गई है. पूर्व पर्यावरण मंत्री रमेश ने कहा कि अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह विकास निगम परियोजना के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में पेड़ों की गणना, कटाई और परिवहन तथा चिह्नित करने के लिए अभिरुचि पत्र आमंत्रित करने की प्रक्रिया की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है.

कलकत्ता HC में दी गई चुनौती

18 अगस्त, 2022 को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अंडमान निकोबार द्वीपसमूह प्रशासन ने प्रमाणित किया कि वन अधिकार अधिनियम, 2006 के तहत सभी व्यक्तिगत और कम्युनिटी अधिकारों की पहचान कर ली गई है. साथ ही ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट में परिवर्तन की सहमति भी बन गई है. उन्होंने कहा कि 18 दिसंबर, 2004 को इस अनुमोदन को कलकत्ता उच्च न्यायालय में मीना गुप्ता द्वारा चुनौती दी गई थी, जो एक सेवानिवृत आईएएस अधिकारी थीं और केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय में सचिव और केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय में एक वरिष्ठ अधिकारी भी रह चुकी थीं. रमेश ने स्पष्ट रूप से कहा कि केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय अजीब तरह से दुविधा में है, जबकि कलकत्ता उच्च न्यायालय में इस चुनौती पर विस्तृत सुनवाई होनी अभी बाकी है. इसके अलावा उन्होंने दावा किया कि ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट को पर्यावरणीय मंजूरी भी राष्ट्रीय हरित अधिकरण में चुनौती दी जा रही है.

कानून को ताक पर रखा गया : सोनिया गांधी

इससे पहले कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने इस परियोजना की आलोचना की थी और आरोप लगाया था कि सरकार ने परियोजना को लागू करने के लिए कानूनी विचार विमर्श का पूरी तरह से मजाक उड़ाया है. साथ ही उन्होंने ग्रेट निकोबार बुनियादी ढांचा परियोजना को एक सुनियोजित दुस्साहस करार देते हुए कहा था कि द्वीप के आदिवासी समुदाय के अस्तित्व के लिए खतरा है और इसके असंवेदनशील तरीके से आगे बढ़ाया जा रहा है, जिसकी वजह से कानून को भी ताक पर रखा गया. दूसरी तरफ पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि सभी मंजूरियां प्राप्त कर ली गई है और कहा कि यह देश विकास के लिए सबसे शानदार परियोजनाओं में से एक है.

क्या है ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट?

ग्रेट निकोबार आइलैंड डेवलपमेंट प्रोजेक्ट भारत को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक रूप से मजबूत करना सरकार का सबसे बड़ा लक्ष्य है. साथ ही सरकार का उद्देश्य है कि आइलैंड को ग्लोबल ट्रेड, ट्रांसपोर्टेशन और टूरिज्म का केंद्र बनाना है. परियोजना की लागत की बात की जाए तो इस पर 72 हजार करोड़ रुपये के आस पास है. इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए करीब 30 साल की टाइमलाइन ली गई है.

यह भी पढ़ें- आज PM Modi असम को देंगे 18 हजार करोड़ रुपये की सौगात, बंगाल और बिहार का भी करेंगे दौरा

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