Axiom-4 Mission: अंतरिक्ष में लिक्विड फूड को या ग्रेवी वाले खाने को कंज्यूम करना काफी ज्यादा मुश्किल होता है. जैसे ही किसी लिक्विड फूड को खोला जाता है ग्रेविटी ना होने के कारण ये हवा में तैरने लगता है.
Axiom-4 Mission: भारत के लिए 10 जून 2025 की तारीख बेहद खास है. इस दिन 41 साल बाद देश को दूसरा अंतरिक्ष सुपरहीरो मिलेगा. इससे पहले राकेश शर्मा ने पहला भारतीय अंतरिक्ष यात्री होने का गौरव हासिल किया था. अब भारतीय वायुसेना के पायलट ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला कल यानी 10 जून 2025 को अंतरिक्ष की उड़ान भरेंगे. शुभांशु को एक्सिओम स्पेस के Ax-4 मिशन के तहत अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर ले जाया जाएगा. लेकिन अंतरिक्ष में रहना आसान नहीं होता, इसके लिए पूर्व तैयारियां बेहद जरूरी होती हैं. अंतरिक्ष में जाना हर किसी को रोमांचित करता है लेकिन रहने से लेकर खाने पीने तक सबकुछ वहां अलग होता है.
कैप्टन शुभांशु के लिए मां के हाथ का खाना जाएगा ISS
बात करें शुभांशु शुक्ला की तो उनकी मां के हाथ का बना खाना उनके लिए खास तौर पर नासा की मदद से इसरो और डीआरडीओ की मदद से एक फूड लिस्ट में शामिल किया गया है. इस खाने में मूंग की दाल का हलवा और आमरस को शामिल किया गया है. ये दोनों ही खाने की चीजें शुभांशु को बेहद पसंद हैं.
अंतरिक्ष में खाना-पीना धरती जितना आसान नहीं
गौर करने वाली बात है कि अंतरिक्ष में लिक्विड फूड को या ग्रेवी वाले खाने को कंज्यूम करना काफी ज्यादा मुश्किल होता है. जैसे ही किसी लिक्विड फूड को खोला जाता है ग्रेविटी ना होने के कारण ये हवा में तैरने लगता है. दिनभर के व्यस्त शेड्यूल के बाद रात को अंतरिक्ष यात्री खाना खाते हैं. इस खाने को अलग-अलग कंपार्टमेंट्स में रखा जाता है क्योंकि ISS में कई देशों के अंतरिक्ष यात्री रहते हैं तो उनके हिसाब से ही खाना रखा जाता है.
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