Home Top News सत्यपाल मलिक को नमन! सत्ता से बेखौफ सच कहने वाले नेता को विपक्ष का भावुक विदाई संदेश

सत्यपाल मलिक को नमन! सत्ता से बेखौफ सच कहने वाले नेता को विपक्ष का भावुक विदाई संदेश

by Jiya Kaushik
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Satyapal Malik

Opposition leaders remember Satyapal Malik: सत्यपाल मलिक का जाना भारतीय राजनीति के उस स्वर को मौन कर गया है, जो बिना भय के सत्ता से सवाल करने का साहस रखता था.

Opposition leaders remember Satyapal Malik: पूर्व जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक का 79 वर्ष की उम्र में दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में निधन हो गया है. लंबे समय से बीमार चल रहे मलिक न सिर्फ एक अनुभवी राजनेता थे, बल्कि वे उन विरले चेहरों में शामिल रहे, जिन्होंने सत्ता के सामने डटकर सच बोलने का साहस दिखाया. उनके निधन पर पूरे विपक्ष ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्हें “सत्ता के सामने आईना दिखाने वाला नेता” बताया.

खड़गे को याद आए मलिक

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मलिक को याद करते हुए उन्हें “किसान-मित्र नेता” बताया और कहा कि वे हमेशा सत्ता में बैठे लोगों को बेखौफ सच का आईना दिखाते रहे. उन्होंने शोक संदेश में मलिक के परिजनों और समर्थकों के प्रति गहरी संवेदना जताई.

राहुल गांधी ने जताया शोक

लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने भी मलिक के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उन्हें एक ऐसा व्यक्ति बताया जो अंतिम क्षण तक सत्य की बात करता रहा. उन्होंने कहा, “मैं उन्हें एक ऐसे शख्स के रूप में याद रखूंगा, जिन्होंने निडर होकर हमेशा जनता के हित में अपनी बात रखी.”

ममता बनर्जी ने भी दी श्रद्धांजलि

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लिखा कि मलिक ने कुछ ऐसे सच बोलकर देश की राजनीति में विशेष स्थान पाया, जिन्हें बोलने का साहस कम ही लोग कर पाते हैं. उन्होंने मलिक के किसान आंदोलन और पुलवामा हमले को लेकर लिए गए स्पष्ट रुख की सराहना करते हुए उन्हें सलाम किया.

दीपेन्दर हुड्डा ने भी मलिक को किया याद

कांग्रेस सांसद दीपेन्दर हुड्डा ने कहा कि सत्यपाल मलिक का निधन सिर्फ पश्चिमी उत्तर प्रदेश ही नहीं, पूरे देश के लिए अपूरणीय क्षति है. उन्होंने कहा कि मलिक ने छात्र राजनीति से शुरुआत कर मजदूरों और किसानों की आवाज़ को लगातार मंच दिया.

इमरान मसूद से थे पारिवारिक रिश्ते

कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने मलिक के निधन को व्यक्तिगत क्षति बताया. उन्होंने कहा, “हमारे पारिवारिक रिश्ते थे. एक मजबूत किसान नेता का यूं जाना बेहद दुखद है.”

मलिक का राजनीतिक सफर

सत्यपाल मलिक ने न केवल लोकसभा और राज्यसभा में सांसद के रूप में सेवाएं दीं, बल्कि गोवा, बिहार, ओडिशा, मेघालय और अंत में जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील राज्यों के राज्यपाल भी रहे. खासतौर पर जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में उन्होंने पुलवामा हमले और अनुच्छेद 370 से जुड़े मामलों पर अपनी स्पष्ट और साहसी टिप्पणियों से सुर्खियां बटोरीं.

सत्यपाल मलिक का जाना भारतीय राजनीति के उस स्वर को मौन कर गया है, जो बिना भय के सत्ता से सवाल करने का साहस रखता था. चाहे किसानों के हक की बात हो या देश की सुरक्षा से जुड़े मुद्दे, उन्होंने हमेशा सच्चाई को प्राथमिकता दी. उनके जाने से भारतीय लोकतंत्र ने एक स्वतंत्र विचारधारा वाले निर्भीक नेता को खो दिया है, जिसकी भरपाई आसान नहीं होगी.

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