RSS 100 Years : आरएसएस अपनी 100वीं शताब्दी मना रहा है और इस मौके पर नागपुर में एक कार्यक्रम भी आयोजित किया गया. यहां से आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने स्वयंसेवकों को संबोधित किया.
RSS 100 Years : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी वर्ष समारोह और विजयादशमी उत्सव नागपुर में धूमधाम से मनाया जा रहा हैं और इस उपलक्ष्य एक बड़ा कार्यक्रम भी आयोजित किया जा रहा है. इस मौके पर मुख्य अतिथि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) हैं. इसी कड़ी में RSS प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने देश के लोगों को संबोधित किया और इस ओर ध्यान दिलाने की कोशिश की कि भारत कहां खड़ा है. साथ ही आरएसएस अब किस दिशा की तरफ आगे बढ़कर देश की सेवा में बड़ा योगदान देने का करेगा. मोहन भागवत ने कहा कि हम आज संघ के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में विजयादशमी कार्यक्रम में भाग लेने के लिए इकट्ठा हुए हैं. यहां से हम उन लोगों को नमन करते हैं जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति दी और समाज को उत्पीड़न से बचाया.
हमने सेना का शौर्य देखा : भागवत
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि आज महात्मा गांधी की जयंती है. भारत की स्वतंत्रता में उनका अतुलनीय योगदान था. उन्होंने कहा कि प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन हुआ और उसने पूरे भारत में भक्ति की लहर पैदा कर दी. इसी साल की शुरुआत में पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 भारतीय यात्री नागरिकों की उनका हिन्दू धर्म पूछ कर हत्या कर दी गई. संपूर्ण भारतवर्ष में नागरिकों में दुख और क्रोध की ज्वाला भड़की. भारत सरकार ने योजना बनाकर 7 मई को इसका पुरजोर उत्तर दिया. इस सब कालावधि में देश के नेतृत्व की दृढ़ता तथा हमारी सेना के पराक्रम तथा कौशल के साथ-साथ ही समाज की दृढ़ता व एकता का सुखद दृश्य हमने देखा.
देश की सुरक्षा को मजबूत करना होगा
उन्होंने आगे कहा कि हम सभी के प्रति मित्रवत स्वभाव रखते हैं, लेकिन हमको सतर्क रहने की भी जरूरत है. यही वजह है कि हमको सबसे पहले देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने में सक्षम बनाना होगा. पहलगाम हमले के बाद विभिन्न देशों के रुख से भारत के साथ उनकी मित्रता की प्रकृति और सीमा का पता चला. दूसरी तरफ मोहन भागवत ने कहा कि हाल ही में अमेरिका ने एक नई टैरिफ नीति अपनाई है. भले ही इसमें उनका ज्यादा फायदा हो, लेकिन इसका असर सभी देशों पर पड़ रहा है. राष्ट्र को हर तरह के रिश्ते निभाने होते हैं, लेकिन यह बदलाव किसी मजबूरी में नहीं होने चाहिए. बदलती दुनिया के रूपों को ध्यान में रखते हुए हमको आत्मनिर्भर बनने की सबसे ज्यादा जरूरत है.
सांस्कृतिक जुड़ाव में आस्था होनी चाहिए
शताब्दी कार्यक्रम में भागवत ने कहा कि देश भर में विशेषकर युवा पीढ़ी में राष्ट्रवादी भावना, सांस्कृतिक जुड़ाव में आस्था और आत्मविश्वास लगातार बढ़ रहा है. स्वयंसेवकों के अलावा विभिन्न धार्मिक, सामाजिक संस्थाएं और व्यक्ति भी समाज के वंचित वर्गों की निस्वार्थ सेवा के लिए आगे आ रहे हैं. वहीं, उन्होंने यह भी कहा कि भौतिकवादी और उपभोक्तावादी विकास मॉडल, जो भौतिकवादी और खंडित दृष्टिकोण पर आधारित हैं, दुनिया भर में अपनाया जा रहा है, उसके दुष्परिणाम अनियमित और अप्रत्याशित वर्षा भूस्खलन और ग्लेशियरों के सूखने के रूप में सर्वत्र स्पष्ट हो रहे हैं.
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