Home Top News संभल में मस्जिद या मंदिर? इलाहाबाद हाई कोर्ट आज सुनाएगा फैसला, दोनों पक्षों की टिकी निगाहें

संभल में मस्जिद या मंदिर? इलाहाबाद हाई कोर्ट आज सुनाएगा फैसला, दोनों पक्षों की टिकी निगाहें

by Jiya Kaushik
0 comment
Sambhal Masjid Case

Sambhal Masjid Case: संभल जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर विवाद एक संवेदनशील मुकाम पर है, जहां इलाहाबाद हाई कोर्ट का आज का फैसला दोनों पक्षों के लिए बेहद अहम साबित होगा. अदालत यह तय करेगी कि क्या मस्जिद का पुरातात्विक सर्वेक्षण वैध रूप से आगे बढ़ेगा या इसे रोका जाएगा.

Sambhal Masjid Case: संभल की ऐतिहासिक जामा मस्जिद को लेकर चल रहे विवाद पर आज इलाहाबाद हाई कोर्ट का अहम फैसला आने वाला है. यह मामला केवल धार्मिक नहीं बल्कि कानूनी और ऐतिहासिक रूप से भी संवेदनशील बन चुका है. मस्जिद कमेटी द्वारा स्थानीय अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए दाखिल की गई पुनरीक्षण याचिका (Civil Revision Petition) पर हाई कोर्ट ने 13 मई को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे आज सुनाया जाएगा. यह निर्णय न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि देशभर में ऐसे मामलों के लिए एक मिसाल बन सकता है.

विवाद की जड़, मंदिर-मस्जिद का टकराव

संभल जिले के मोहल्ला कोट पूर्वी में स्थित जामा मस्जिद और पास के हरिहर मंदिर को लेकर हिंदू और मुस्लिम पक्षों के बीच वर्षों पुराना विवाद अब न्यायिक मोड़ पर पहुंच गया है. हिंदू पक्ष का दावा है कि जामा मस्जिद दरअसल एक प्राचीन मंदिर को ध्वस्त कर बनाई गई थी. इस दावे के समर्थन में उन्होंने सिविल कोर्ट में वाद दायर कर वहां प्रवेश का अधिकार मांगा और मस्जिद के पुरातत्व सर्वेक्षण की मांग की.

मामला तब गंभीर हुआ जब सिविल जज ने एडवोकेट कमीशन की नियुक्ति कर मस्जिद परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण करवाने का आदेश दे दिया. इस निर्णय को मुस्लिम पक्ष ने “असंवैधानिक” बताते हुए हाई कोर्ट में चुनौती दी. मस्जिद कमेटी का कहना है कि यह कार्रवाई न केवल धार्मिक भावनाओं को आहत करती है बल्कि कानूनन भी गलत है.

सुनवाई से लेकर फैसला सुरक्षित रखने तक

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 13 मई को इस संवेदनशील मामले की विस्तृत सुनवाई की थी. जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की बेंच ने मस्जिद कमेटी के वकीलों, हिंदू पक्ष के प्रतिनिधि एडवोकेट हरिशंकर जैन, और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के वकील की दलीलें सुनीं. एएसआई ने पहले ही अपना जवाबी हलफनामा दाखिल कर दिया था, जबकि मस्जिद कमेटी को रिवाइंडर फाइल करने का अवसर दिया गया.

हाई कोर्ट ने जिला अदालत के आदेश पर सवाल उठाए, खासतौर पर जिस गति से एडवोकेट कमीशन नियुक्त किया गया और सर्वे की प्रक्रिया को अंजाम दिया गया-उस पर गंभीर विचार किया गया. अब कोर्ट द्वारा आज दिया जाने वाला फैसला यह तय करेगा कि क्या मस्जिद का सर्वेक्षण जारी रहेगा या आदेश पर रोक लगाई जाएगी.

फैसला किसी भी दिशा में जा सकता है

यह मामला संवेदनशील धार्मिक भावनाओं से जुड़ा है, जिस कारण कोर्ट का फैसला न केवल कानूनी बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत प्रभावशाली होगा. अगर हाई कोर्ट मस्जिद कमेटी की याचिका स्वीकार करता है तो जिला अदालत का आदेश रद्द हो सकता है, जिससे सर्वे प्रक्रिया रुक जाएगी.

वहीं यदि याचिका खारिज होती है, तो यह संकेत होगा कि अदालत मस्जिद के पुरातात्विक सर्वेक्षण को न्यायोचित मान रही है, जिससे हिंदू पक्ष को बल मिलेगा और मामला उच्च स्तर तक जा सकता है. दोनों ही स्थितियों में संभावना है कि अगला कदम सुप्रीम कोर्ट की ओर बढ़े.

यह भी पढ़ें: गुजरात की धरती से अमित शाह ने निकाली तिरंगा यात्रा, पाकिस्तान को दिया ये संदेश

You may also like

LT logo

Feature Posts

Newsletter

@2025 Live Time. All Rights Reserved.

Are you sure want to unlock this post?
Unlock left : 0
Are you sure want to cancel subscription?